iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2024-25 के सीजन में 388.50 लाख टन मक्का के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है जो तेजी से बढ़ती घरेलू मांग एवं खपत को देखते हुए आवश्यक प्रतीत होता है। लेकिन पीछे दो वर्षों के उत्पादन की स्थिति को देखते हुए इस विशाल लक्ष्य को हासिल करने के लिए अतिरिक्त प्रयास की जरूरत पड़ेगी।
मक्का का भाव बढ़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर पहुंच गया है और उपभोक्ता इकाइयों तक इसकी पहुंच का भाव 2400 रुपए प्रति क्विंटल आसपास देखा जा रहा है।
घरेलू बाजार भाव ऊंचा होने से मक्का का निर्यात ऑफर मूल्य गैर प्रतिस्पर्धी हो गया है और इसलिए आयातक देशों में इसकी मांग काफी गत गई है।
ऊंचा भाव सरकार के लिए चिंता और परेशानी का कारण बन सकता है क्योंकि एथनॉल निर्माताओं को आपूर्ति के लिए उसे किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का ज्यादा अवसर नहीं मिल पाएगा।
अब एक बार फिर जल्दी ही 2024- 25 सीजन के लिए मक्का के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा होने वाली है। इससे बाजार भाव कुछ और ऊंचा तथा तेज हो सकता है।
2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन में सरकार ने खरीफ सीजन के दौरान 227.20 लाख टन एवं रबी सीजन के दौरान 97.50 लाख टन मक्का के उत्पादन का अनुमान लगाया है जबकि 2022-23 में इसका उत्पादन खरीफ सीजन में 236.70 लाख टन,
रबी सीजन में 116.90 लाख टन तथा जायद सीजन में 27 लाख टन आंका था। इस तरह कुल उत्पादन बढ़कर 380.90 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था। इस बार अभी तक जायद सीजन के उत्पादन अनुमान सामने नहीं आया है।
2023-24 के दौरान एथनॉल क्षेत्र में करीब 8 लाख टन मक्का का उपयोग हुआ था जबकि चालू वर्ष के दौरान यह बढ़कर 34 लाख टन तथा 2027-28 तक उछलकर 100 लाख टन पर पहुंच जाने का अनुमान है।
स्वदेशी स्रोतों से इस विशाल मांग को पूरा करने की कोशिश हुई तो अन्य खपतकर्ता क्षेत्रों के लिए मुसीबत बढ़ जाएगी। गत वर्ष पॉल्ट्री सेक्टर में 160 लाख टन मक्का का उपयोग हुआ जबकि चालू वर्ष में यह 10 लाख टन और बढ़ सकता है।