iGrain India - सहरसा । बिहार रबीकालीन मक्का का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य माना जाता है। वहां इसका उत्पादन पिछले साल के 67 लाख टन से करीब 10 लाख टन बढ़कर इस बार 77 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है क्योंकि एक तो बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई और दूसरे, मौसम की हालत भी काफी हद तक अनुकूल बनी रही।
इस बार सहरसा, पूर्णिया, खगड़िया, बेगूसराय, दरभंगा, सुपौल एवं शिवहर सहित अन्य उत्पादक जिलों में मक्का फसल की हालत काफी अच्छी रही है। ऐसा लग रहा था कि शनदार उत्पादन के कारण मक्की की कीमतों में इस बार नरमी आएगी।
सरकार की नजर भी इस पर केन्द्रित थी जो एथनॉल निर्माताओं के लिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इसकी भारी खरीद का प्लान बना रही थी। लेकिन प्रमुख उद्योगों के साथ-साथ बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा विशाल मात्रा में खरीद किए जाने से मक्का के दाम में नरमी नहीं आई और इसका भाव सरकारी समर्थन मूल्य से ऊंचा ही रहा।
पॉल्ट्री फीड, पशु आहार निर्माण तथा स्टार्च निर्माण उद्योग में मक्का की जोरदार मांग बनी हुई है और अनाज आधारित डिस्टीलरीज भी एथनॉल निर्माण के लिए मक्का की अच्छी खरीद कर रही है।
उत्तरी भारत में अभी केवल बिहार में ही मक्का की भारी आवक हो रही है जबकि अब उत्तर प्रदेश के बहराइच, कन्नौज एवं फरूखाबाद जिलों में भी फसल तैयार होने लगी है।
उधर पंजाब के कुछ जिलों में भी मध्य जून तक नए मक्के की आवक का दबाव बढ़ सकता है। इसके फलस्वरूप पंजाब, बिहार, हरियाणा एवं गुजरात जैसे राज्यों के स्टार्च निर्माता बिहार पर निर्भरता घटा सकते हैं।
जानकारों का कहना है कि बिहार में मक्का के दाम पहले ही ऊंचे स्तर पर पहुंच चुके हैं इसलिए लिवाली में कमी आने पर वहां कीमतों में 50-100 रुपए प्रति क्विंटल तक की नरमी आ सकती है।
यूपी में भी फसल अच्छी बताई जा रही है। खरीफ कालीन मक्का की बिजाई शीघ्र ही शुरू होने वाली है जबकि जायद सीजन की फसल भी आने लगी है।