iGrain India - नई दिल्ली । साउथ इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (सिस्मा) की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष एवं तक अग्रणी चीनी उत्पादक कम्पनी के कार्यकारी के कार्यकारी निदेशक ने केन्द्र में बनने वाली नई सरकार से चीनी के एक्स फैक्ट्री न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोत्तरी करने तथा एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम को जारी रखने पर ठोस आश्वासन देने का आग्रह किया है। 4 जून को लोकसभा चुनाव का परिणाम घोषित होने के बाद केन्द्र में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
सिस्मा के अध्यक्ष का कहना है कि पिछले चार-पांच वर्षों से चीनी के एमएसपी में कोई बदलाव नहीं हुआ है जबकि इस बीच गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में नियमित रूप से बढ़ोत्तरी होती रही है।
इसी तरह सरकार ने 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में एथनॉल निर्माण के लिए चीनी (गन्ना) के उपयोग को काफी सीमित कर दिया जिससे डिस्टीलरीज को अपने कार्य संचालन में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा। सरकार को यह ठोस आश्वासन देना चाहिए कि एथनॉल निर्माण के लिए कच्चे माल का पर्याप्त स्टॉक हर हाल में उपलब्ध करवाया जाएगा।
सरकारी आश्वासन से ही उद्यमियों को डिस्टीलरीज के विकास-विस्तार एवं रख रखाव में भारी पूंजी का निवेश करने का प्रोत्साहन मिल सकेगा। इससे से 2024-25 के सीजन में एथनॉल का उत्पादन करने वाली चीनी मिलों को एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) की जरूरतों के मुताबिक एथनॉल का उत्पादन करना का प्रोत्साहन मिलेगा।
जहां तक चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य का सवाल है तो इसमें इजाफा होना आवश्यक हो गया है। आगामी मार्केटिंग सीजन के लिए एक बार फिर गन्ना के एफआरपी में 8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की घोषणा की गई है जिससे इसके लागत खर्च में स्वाभाविक रूप से बढ़ोत्तरी हो जाएगी।
पिछले तीन-साल चाक से गन्ना की कीमतों में वृद्धि हो रही है मगर चीनी एमएसपी को स्थिर रखा जा रहा है। चीनी के उत्पादन खर्च एवं बिक्री मूल्य में अंतर होने से मिलों पर वित्तीय भार पड़ता है और गन्ना उत्पादकों के बकाए का भुगतान करने में कठिनाई होती है।
2023-24 के वर्तमान सीजन में शुरुआती आशंका से उबरते हुए अंततः चीनी का उत्पादन संतोषजनक स्तर पर पहुंच गया।