iGrain India - नई दिल्ली । गत 28 मई की जीपीसी के अध्यक्ष, अनेक बोर्ड सदस्य एवं राष्ट्रीय स्तर के संघों-संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने केन्द्रीय उपभोक्ता मामले सचिव निधि खरे के साथ लम्बी, सार्थक एवं व्यावहारिक बातचीत की।
ग्लोबल पल्स कॉन फेडरेशन (जीपीसी) तथा नैफेड के एडिशनल मैनेजिंग डयरेक्टर सुनील कुमार सिंह के सहयोग से आयोजित इस बैठक में विभिन्न मुद्दों पर उपयोगी चर्चा की गई और तमाम समस्याओं तथा मामलों पर अपना पक्ष रखने का अवसर मिला।
दाल-दलहनों की लगातार बढ़ती घरेलू मांग एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए अवसर के बारे में अपनी आरंभिक टिप्पणी में निधी खरे ने खुलासा किया कि उपभोक्ता मामले विभाग दाल-दलहन की आपूर्ति बढ़ाने के हर संभव प्रयास कर रहा और मांग तथा आपूर्ति के बीच अंतर के लिए अनेक उठा रहा है। विभाग का इरादा सभी भारतीय उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर दालों की पर्याप्त उपलब्ध सुनिश्चित करना है।
सचिव का कहना है की भारत तेजी से तरक्की के रास्ते पर अग्रसर है और आगामी वर्षों में यहां दाल-दलहनों की मांग तथा खपत में नियमित रूप से बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।
चूंकि भारत सरकार खाद्य महंगाई को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने में कामयाब रबी है और खासकर कोरोना काल में लॉक डाउन के दौरान खाद्य महंगाई पर काफी हद तक अंकुश लगा रहा इसलिए आगे भी इसे नियंत्रित किया जाएगा।
निधि खरे का कहना था कि ज्यादा से ज्यादा राज्य सरकारें इस हकीकत को समझेगी कि दाल-दलहनों की आपूर्ति बढ़ाकर देश के करीब 80 करोड़ परिवारों को बेहतर पोषण सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।
भारत में तीन प्रमुख दलहनों पर आयात शुल्क को खत्म का दिया गया है जबकि दो अन्य दलहनों को भी इस सूची में शामिल किया गया है। निधि खरे का कहना था कि यह विश्वभर के सभी आपूर्ति कर्ताओं के लिए एक सुनहरा अवसर है जिसे उसे दोनों हाथों से लपकना चाहिए।
सचिव का कहना था कि खासकर दक्षिण गोलार्ध के देशों में इसका आंकलन करना चाहिए कि अगले तीन चार महीनों के लिए उन्हें किस दलहन की खेती कितने क्षेत्रफल में करना है ताकि भारत को उसका निर्यात करके लाभ कमाया जा सके।
लेकिन निधि खरे ने साथ ही साथ उद्योग-व्यापार क्षेत्र से भी आग्रह किया कि दाल-दलहन के मामले में इस संक्रमण के दौरान कोई अनावश्यक सनसनी न फैलाएं और न ही उपभोक्ताओं को तकलीफ में डालकर उसके शोषण का प्रयास करें।