iGrain India - नई दिल्ली । मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान जैसे प्रांतों में गेहूं की सरकारी खरीद उम्मीद से बहुत कम हुई है और अब क्रय केन्द्रों पर माल की मामूली आवक को देखते हुए खरीद में ज्यादा सुधार आने के आसार भी नहीं हैं। दिलचस्प नहीं दिखाई।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में 1 अप्रैल की नियत तिथि के बजाए 1 मार्च से ही गेहूं की खरीद शुरू करने का निर्णय लिया गया और व्यापारियों तथा फ्लोर मिलर्स को खरीद प्रक्रिया से दूर रहने के लिए कहा गया लेकिन इसका भी कोई खास सार्थक परिणाम सामने नहीं आया। बाद में फ्लोर मिलर्स को अपनी तात्कालिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए सीमित मात्रा में किसानों से गेहूं खरीदने की अनुमति दे दी गई।
पंजाब और हरियाणा में गेहूं की सरकारी खरीद 31 रूई को बंद हो गई। इन दोनों राज्यों में कुल मिलाकर करीब 196 लाख टन गेहूं खरीदा गया जो उसके संयुक्त लक्ष्य 210 लाख टन का 93 प्रतिशत रहा। पंजाब में 130 लाख टन एवं हरियाणा में 80 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य नियत किया गया था। दूसरी ओर मध्य प्रदेश,
उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में कुल मिलाकर 160 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया था मगर 31 मई तक इन तीनों राज्यों में संयुक्त रूप से करीब 69 लाख टन की खरीदा जा सका जो निर्धारित लक्ष्य से 43 प्रतिशत कम हैं। इस बार मध्य प्रदेश में 80 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 60 लाख टन तथा राजस्थान में 20 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य नियत किया गया है।
राष्ट्रीय स्तर पर केन्द्रीय पूल के लिए 31 मई 2024 तक 265 लाख टन गेहूं की खरीद हुई जो 273 लाख टन के नियत लक्ष्य से करीब 108 लाख टन कम है। चूंकि क्रय केन्द्रों पर वीरानी बढ़ने लगी है इसलिए खरीद की मात्रा में आगे ज्यादा बढ़ोत्तरी होने की संभावना नहीं है।
सरकार ने नियत लक्ष्य से बहुत कम मात्रा में गेहूं की हुई खरीद के कारणों का पता लगाना शुरू कर दिया है। कृषि मंत्रालय ने गेहूं का घरेलू उत्पादन बढ़कर 1120.20 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है। ऐसा प्रतीत होता है कि बड़े-बड़े उत्पादक विशाल मात्रा में गेहूं का स्टॉक अपने पास रोकने का प्रयास कर रहे हैं।