iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय पूल के लिए गेहूं की खरीद में हुई मामूली बढ़ोत्तरी को देखते हुए खाद्य मंत्रालय को चालू माह से खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की ई-नीलामी (बिक्री) आरंभ करने का निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है।
सरकार ने इस बार 373 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा था जबकि वास्तविक खरीद 270 लाख टन तक भी नहीं पहुंच पाई है। गेहूं की सरकारी खरीद का समय धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है और अब क्रय केन्द्रों पर इस अनाज की नगय आवक हो रही है।
अधिक से अधिक मात्रा में गेहूं की खरीद सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा सभी तरह के हथकंडे अपनाए गए मगर वे कारगर साबित नहीं हुए।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार घरेलू प्रभाग में गेहूं की कीमतों पर गहरी नजर रख रही है और फिलहाल स्थिति चिंताजनक स्तर पर नहीं पहुंची है।
यह सही है कि आपूर्ति के पीक सीजन में भी गेहूं के दाम में अपेक्षित गिरावट नहीं आई मगर ऐसा प्रतीत होता है कि फ्लोर मिलर्स एवं व्यापारियों द्वारा अच्छी मात्रा में इसकी खरीद की गई है।
यह पहले ही स्पष्ट हो चुका था कि केन्द्र में नई सरकार के गठन से पूर्व गेहूं की नीलामी बिक्री शुरू नहीं हो सकेगी। अब सरकार बनाने की कवायद आरंभ हो गई है और नए खाद्य मंत्री द्वारा नीलामी बिक्री का निर्णय लिया जा सकेगा।
यह देखना भी आवश्यक होगा कि एनडीए में भाजपा और उसके सहयोगी दलों में से किसके खाते में खाद्य मंत्रालय जाता है। 8 जून को प्रधानमंत्री का शपथ ग्रहण होने वाला है।
उल्लेखनीय है कि मार्च 2024 में खाद्य मंत्रालय ने बफर स्टॉक नियम (ओएमएसएस के तहत) केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न (गेहूं एवं चावल) की अधिशेष मात्रा की बिक्री के लिए नई नीति को अनुमोदित किया था जो 1 अप्रैल से 31 जुलाई तक के लिए वैध है।
7 जून को इस नीति की समीक्षा होनी है और उसके बाद नया रिजर्व मूल्य निर्धारित किया जाता है जो चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों के लिए मान्य होगा। लेकिन चूंकि 8 जून को मई सरकार का शपथ ग्रहण होना है 7 जून को समीक्षा करना मुश्किल होगा।