iGrain India - नई दिल्ली । उच्च रियायती मूल्य वाले भारत चावल की बिक्री बढ़ाने के उद्देश्य से केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने नैफेड, राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) एवं केन्द्रीय भंडार जैसी एजेंसियों के साथ-साथ अन्य सम्बद्ध पक्षों को दक्षिणी राज्यों में सेला चावल की बिक्री भी आरंभ करने के लिए कहा है जबकि अब तक समूचे देश में कच्चे (सफेद) चावल की बिक्री हो रही है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भारत ब्रांड चावल की बिक्री योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा अभी तक 10 लाख टन से अधिक सामान्य श्रेणी के चावल की आपूर्ति की जा चुकी है जो इसकी अनुमानित मात्रा से काफी कम है। इसकी बिक्री सामान्य ढंग से होने की सूचना है।
अधिकारियों के मुताबिक भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास उपलब्ध सेला चावल का स्टॉक दक्षिण भारत के राज्यों में भारत चावल बिक्री योजना के तहत बेचा जाएगा ताकि इसकी कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाया जा सके। फिलहाल खाद्य निगम ने खुदरा बिक्री के लिए 1.30 लाख टन सेला चावल का स्टॉक उपलब्ध करवाया है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारतीय खाद्य निगम को अभी तक भारत ब्रांड चावल की बिक्री के लिए नैफेड, एनसीसीएफ एवं केन्द्रीय भंडार जैसी एजेंसियों की ओर से 15 लाख टन चावल की खरीद की इच्छा (परचेज इंडेंट) प्राप्त हुई है जिसमें से 10 लाख टन की बिक्री इन एजेंसियों द्वारा की जा चुकी है। इस चावल का दाम 29 रुपए प्रति किलो निर्धारित किया गया है जिसे एजेंसियों के खुदरा विपणन केन्द्रों (रिटेल आउटलेट्स) के माध्यम से बेचा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2024 में यह योजना शुरू की गई थी और इसके तहत आम उपभोक्ताओं को 5 किलो एवं 10 किलो के पैक में अत्यन्त रियायती मूल्य पर कच्चा चावल उपलब्ध करवाया जा रहा है।
इसका उद्देश्य चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाकर कीमतों को नियंत्रित करना है। अप्रैल में चावल का खुदरा मूल्य 12.51 प्रतिशत बढ़ गया लेकिन अगले कुछ महीनों में इसके कुछ नरम पड़ने की संभावना है। ध्यान देने की बात है कि अक्टूबर 2022 से ही चावल में महंगाई दर दो अंकों में (10 प्रतिशत से अधिक) चल रही है।