iGrain India - मुम्बई । भारत में चीनी के उत्पादन में सुधार आने का संकेत मिलने तथा घरेलू बाजार भाव एक निश्चित सीमा में स्थिर रहने के बावजूद इसके निर्यात पर अनिश्चित कालीन प्रतिबंध लागू होने से मिलर्स की तरलता (मुद्रा प्रवाह) प्रभावित हो रही है।
हालांकि इस्मा द्वारा सरकार से बार-बार 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया जा रहा है लेकिन निकट भविष्य में इसके स्वीकार किए जाने की संभावना बहुत कम है।
अब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी चीनी का दाम घटकर पिछले 18 महीनों के निचले स्तर पर आ गया है जिससे निर्यात पर ज्यादा मार्जिन मिलना मुश्किल है। निर्यात प्रतिबंध के कारण चीनी मिलों को कार्य संचालन एवं गन्ना किसानों के बकाए के भुगतान में कठिनाई हो रही है।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में 320 लाख टन के उत्पादन एवं 57 लाख टन के बकाया स्टॉक के साथ चीनी की कुल उपलब्धता 377 लाख टन पर पहुंची जबकि इसकी घरेलू मांग खपत 285 लाख टन होने की संभावना है।
यदि अगले सीजन के लिए 60 लाख टन चीनी के आरक्षित स्टॉक को अलग रखा जाए तब भी करीब 30-32 लाख टन का ऐसा अधिशेष स्टॉक बचेगा जिसके निर्यात की अनुमति दी जा सकती है।
इसमें से अगर 20 लाख टन के निर्यात की अनुमति दी जाती है तो घरेलू प्रभाग में चीनी की आपूर्ति एवं कीमत पर कोई असर नहीं पड़ेगा जबकि मिलर्स को कुछ अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो सकेगी।
लेकिन सरकार की सोच इससे भिन्न है। उसे लगता है कि आगामी सीजन में चीनी का उत्पादन घट सकता है। हालांकि उसने गन्ना का उत्पादन लक्ष्य बढ़ाकर 47 करोड़ टन निर्धारित किया है जो 2023-24 सीजन के अनुमानित उत्पादन 44 करोड़ से ज्यादा है
मगर सूखा एवं कीड़ों-रोगों के प्रकोप से फसल को नुकसान होने पर चीनी का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। इसके अलावा निर्यात खुलने से चीनी बाजार पर मनोवैज्ञानिक असर भी पड़ सकता है।