iGrain India - इडुक्की । उत्तरी अमरीका महाद्वीप के मध्यवर्ती भाग में अवस्थित देश- ग्वाटेमाला में बारिश की कमी एवं ऊंचे तापमान के कारण सूखे का गंभीर संकट बना हुआ है जिससे छोटी इलायची की फसल को भारी नुकसान होने की आशंका है।
ग्वाटेमाला दुनिया में हरी इलायची का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है। वहां उत्पादन में गिरावट आने से निर्यात योग्य स्टॉक कम बचेगा और दाम भी ऊंचा रहेगा। इससे भारतीय निर्यातकों को फायदा होने की उम्मीद है।
ग्वाटेमाला की इलायची अपेक्षाकृत सस्ते दाम पर उपलब्ध रहती है क्योंकि इसकी क्वालिटी भारतीय माल से हल्की होती है। मध्य पूर्व एशिया एवं खाड़ी क्षेत्र के देशों में बड़े पैमाने पर इसका निर्यात किया जाता है।
समझा जाता है कि ग्वाटेमाला में उत्पादन काफी घटने से खाड़ी क्षेत्र के कई देशों को भारतीय इलायची का आयात बढ़ाने के लिए विवश होना पड़ सकता है। भारतीय इलैयहि की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है इसलिए इसका दाम कुछ ऊंचा रहता है। भारत में इलायची की नई फसल की तुड़ाई-तैयार एक-डेढ़ माह में जोर पकड़ सकती है।
केरल के सबसे प्रमुख उत्पादक जिले- इडुक्की के कई भागों में अभी सामान्य या अच्छी बारिश हो रही है जिससे वहां इलायची की उपज दर में सुधार आने की उम्मीद है।
चूंकि 10 मई से वहां वर्षा का दौर शुरू हुआ है और आमतौर पर उसके 80-90 दिनों के बाद इलायची के नए माल की तुड़ाई-तैयारी का पहला चरण औपचारिक रूप से शुरू हो जाता है इसलिए उम्मीद की जा रही है कि जुलाई-अगस्त में इसकी आवक तेजी से बढ़ने लगेगी।
नीलामी केन्द्रों में इलायची का औसत भाव 2200 रुपए प्रति किलो से ऊपर चल रहा है। इडुक्की जिले में जनवरी-अप्रैल के चार महीनों में सूखे का संकट बना रहा था जिससे इलायची के उत्पादन में गिरावट की आशंका है।
व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि इसका नीलामी मूल्य 2000 रुपए प्रति किलो से ऊपर रह सकता है। लेकिन छोटे तथा सीमांत उत्पादक जल्दी-जल्दी अपना माल बेच सकते हैं जिससे नए सीजन के कुछ दिनों के लिए इलायची का भाव थोड़ा-बहुत नरम पड़ सकता है।
केरल के कुछ क्षेत्रों में इलायची का उत्पादन 40-50 प्रतिशत तक घटने का अनुमान लगाया जा रहा है। यदि गत वर्ष की भांति इस बार भी मांग मजबूत बनी रही तो कीमतों में अच्छी बढ़ोत्तरी हो सकती है।
ग्वाटेमाला में उत्पादन घटकर 25 हजार टन के आसपास सिमट जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। इधर भारत में भी एक बड़े उत्पादक ने इलायची का उत्पादन करीब 50 प्रतिशत घटकर महज 16 हजार टन रह जाने की संभावना व्यक्त की है मगर फिलहाल इसे विश्वसनीय नहीं माना जा रहा है।