iGrain India - हैदराबाद । दक्षिण भारत के एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य- तेलंगाना में धान - चावल का उत्पादन हाल के वर्षों में काफी तेजी से बढ़ा है। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे अग्रिम अनुमान में भारतीय चावल के उत्पादन का बेहतर आंकलन प्रस्तुत किया गया है जिसमें तेलंगाना के उत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
अब पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा छत्तीसगढ़ जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों की सूची में तेलंगाना भी शामिल हो चुका है।
तेलंगाना में 166.31 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ जो कुल राष्ट्रीय उत्पादन का करीब 12 प्रतिशत है। पहले उसे प्रगतिशील कृषि नीतियों और फसल विविधिकरण पर जोर देने के लिए जाना जाता था मगर सिंचाई के लिए अनेक बांधों एवं जलाशयों का निर्माण होने तथा नहरों का जाल बिछाए जाने से किसनों ने धान की खेती को प्रथमिकता देनी शुरू कर दी
और कुछ ही वर्षों में तेलंगाना ने चावल के उत्पादन में अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली। वहां खरीफ और रबी दोनों सीजन में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2023-24 सीजन के दौरान 1367 लाख टन चावल के घरेलू उत्पादन का अनुमान लगाया है जो 2022-23 सीजन के अनुमानित उपदं 1357.55 लाख टन से 9.45 लाख टन ज्यादा है।
तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2023-24 सीजन के दौरान 166.31 लाख टन के साथ तेलंगाना भारत का सबसे बड़ा चावल उत्पादक राज्य बन गया जबकि 157.22 लाख टन के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे नम्बर पर आ गया। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 151.18 लाख टन, पंजाब में 143.90 लाख टन तथा उड़ीसा में 101.30 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ। चावल के उत्पादन में ये पांच राज्य शीर्ष स्तर पर रहे।
चावल के कुल घरेलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश की भागीदारी करीब 11.5 प्रतिशत रही जबकि पश्चिम बंगाल का योगदान 11 प्रतिशत दर्ज किया गया।
इसके बावजूद पंजाब केन्द्रीय पूल में चावल का सबसे अधिक योगदान देने वाला राज्य बना रहा। चावल के कुल घरलू उत्पादन में उसकी हिस्सेदारी 10.5 प्रतिशत रही जबकि उड़ीसा की भागीदारी 7.4 प्रतिशत दर्ज की गई।
इसके अलावा छत्तीगढ़, हरियाणा, बिहार, आंध्र प्रदेश एवं मध्य प्रदेश सहित कुछ अन्य राज्यों में भी बड़े पैमाने पर चावल का उत्पादन होता है।