iGrain India - कोडागू । देश के तीनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु में कालीमिर्च की फसल की हालत अच्छी बताई जा रही है और वहां इसकी जोरदार तुड़ाई-तैयारी की हो रही।
केरल में लगभग 75 प्रतिशत फसल की तुड़ाई-तैयारी हो चुकी है और कर्नाटक में जोर शोर से इसकी प्रक्रिया जारी है जबकि तमिलनाडु में तुड़ाई लगभग समाप्त हो चुकी है।
एक अग्रणी विश्लेषक के अनुसार मसाला एवं अचार के लिए मांग तेजी से बढ़ने के कारण कालीमिर्च की औधोगिक खपत में वृद्धि हो रही है और इसलिए उपभोक्ता उद्योगों को एक-डेढ़ माह की जरूरत को पूरा करने लायक कालीमिर्च का स्टॉक अपने पास रखने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
उधर केरल में अधिकांश उत्पादन क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन एवं भयंकर सूखे की वजह से कालीमिर्च की लताएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। जिससे वहां इसके उत्पादन में काफी गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
लेकिन एक अन्य विश्लेषक का कहना है कि इस बार खासकर कृंतक में फसल की हालत काफी अच्छी है इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर कालीमिर्च का कुल उत्पादन पिछले साल के 95 हजार टन से उछलकर चालू वर्ष में 1.10 लाख टन तक पहुंच सकता है।
यह आंकड़ा काफी हद तक सरकारी अनुमान से मिलता-जुलता है। विश्लेषक का कहना है कि इस बार कर्नाटक एवं तमिलनाडु में कालीमिर्च के बागानी क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है।
मालूम हो कि आमतौर पर देश में कालीमिर्च का औसत उत्पादन 65-70 हजार टन आंका जाता है। समीक्षक के अनुसार कालीमिर्च का भाव ऊंचा एवं तेज हुआ है और आगे भी इसका सिलसिला इस बात पर निर्भर करेगा कि श्रीलंका और वियतनाम से कितना आयात होता है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि इन दोनों देशों से कालीमिर्च का आयात आगे भी जारी रहेगा।
कालीमिर्च का कारोबार सिर्फ हाजिर बाजार में होता है इसलिए वायदा व्यापार के साथ इसका कोई सम्बन्ध नहीं है। कर्नाटक इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है और वहां कॉफी था सुपारी के बागानों में कालीमिर्च की खरीद की जा रही है जिससे बाजार में स्थिरता या मजबूती बरकरार है।