iGrain India - मुम्बई । अनेक कारणों से अगले कुछ महीनों तक सोयाबीन के घरेलू बाजार भाव में भारी तेजी आने की संभावना नहीं है। हालांकि सोयाबीन की आपूर्ति का ऑफ सीजन शुरू हो गया है और शीघ्र ही इसकी नई फसल के लिए बिजाई भी जोर-शोर से शुरू होने वाली है लेकिन दूसरी तरफ कुछ ऐसे कारक मौजूद है जो इसकी कीमतों में तेजी को रोक सकते हैं।
घरेलू प्रभाग में सोया तेल एवं सोयामील की मांग कमजोर पड़ने के संकेत मिल रहे हैं। वैश्विक बाजार से नरमी की सूचना मिल रही है।
सस्ते सोयाबीन तेल का भारी आयात हो रहा है और बकाया स्टॉक वाली सोयाबीन की क्वालिटी कमजोर होती जा रही है। इसके फलस्वरूप सोयाबीन का दाम घट गया है। 2023-24 सीजन के लिए ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4600 रुपए प्रति क्विंटल नियत कर रखा है जबकि लूज में भाव इससे काफी नीचे चल रहा है। विश्लेषकों के अनुसार मध्य नवम्बर के बाद सोयाबीन के दाम में कुछ तेजी आ सकती।
मध्य प्रदेश की बेंचमार्क इंदौर मंडी में सोयाबीन का भाव साप्ताहिक आधार पर 2.6 प्रतिशत एवं मासिक आधार पर 1.1 प्रतिशत गिरकर 4700 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास आ गया। मध्य प्रदेश सोयाबीन का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है और वहां आवक भी घटने लगी है।
खरीफ सीजन के एक प्रमुख तिलहन सोयाबीन की फसल को पीछे साल प्रतिकूल मौसम से नुकसान हुआ था। मध्य प्रदेश, महराष्ट्र एवं राजस्थान-तीनों शीर्ष उत्पादक प्रांतों में सूखे की वजह से सोयाबीन फसल की प्रगति में बाधा पड़ी थी।
केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुसार 2022-23 सीजन की तुलना में 2023-24 सीजन के दौरान तिलहन फसलों का कुल घरेलू उत्पादन 414 लाख टन से 18 लाख टन या 4.3 प्रतिशत घटकर 396 लाख टन पर सिमट गया। इसके तहत खासकर सोयाबीन का उत्पादन 150 लाख टन से लुढ़ककर 131 लाख टन पर अटक गया।
आमतौर पर मानसून सीजन के दौरान सोयाबीन की घरेलू मांग कमजोर पड़ जाती है और मंडियों में इसकी आवक भी कम होती है। भारत में भारत में नियमित रूप से विशाल मात्रा में सोया तेल का आयात हो रहा है।
पिछले पांच साल के दौरान भारत में औसतन 17 लाख टन सोयाबीन तेल का वार्षिक उत्पादन हो रहा है जबकि इसका सालाना औसत आयात 35 लाख टन दर्ज किया गया।
इसका मतलब यह है कि सोया तेल की कुल घरेलू मांग एवं खपत का केवल एक-तिहाई (33 प्रतिशत) भाग ही स्वदेशी स्रोतों से पूरा होता है जबकि विदेशों से होने वाला आयात शेष 67 प्रतिशत या दो-तिहाई खपत को पूरा करता है।
इसके फलस्वरूप वैश्विक बाजार में आने वाला उतार-चढ़ाव काफी हद तक घरेलू बाजार में सोयाबीन तेल के दाम को प्रभावित करता है।