iGrain India - मुक्तसर । प्रति वर्ष बिजाई क्षेत्र में होने वाली भारी गिरावट को देखते हुए प्रतीत होता है कि पंजाब में कपास की खेती से किसानों का मोह भंग होता जा रहा है और उसके उत्साह- आकर्षण में कमी आ रही है।
पंजाब सरकार ने चालू वर्ष के लिए राज्य में कपास की बिजाई का लक्ष्य घटाकर महज 2 लाख हेक्टेयर नियत किया था और 31 मई को बिजाई का सीजन समाप्त होने के बाद जो आंकड़ा सामने आया उससे पता चलता है कि यह छोटा लक्ष्य भी हासिल होना तो दूर, राज्य में कपास का कुल क्षेत्रफल एक लाख हेक्टेयर तक भी नहीं पहुंच सका।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार विभिन्न कारणों से पंजाब में कपास का उत्पादन क्षेत्र घटता जा रहा है और किसान इसके बदले मूंग की खेती को प्राथमिकता देने लगे हैं।
वर्ष 2022 में वहां 4 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती का लक्ष्य रखा गया था जबकि वास्तविक बिजाई क्षेत्र 2.48 लाख हेक्टेयर रहा। इसी तरह वर्ष 2023 में 3 लाख हेक्टेयर से नियत लक्ष्य की तुलना में वास्तविक क्षेत्रफल 1.69 लाख हेक्टेयर तक पहुंच सका।
वर्ष 2024 में 2 लाख हेक्टेयर में कपास की बिजाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया मगर वास्तविक रकबा 96,358 हेक्टेयर पर ही अटक गया। पंजाब में कपास की अगैती (अप्रैल-मई में) खेती होती है।
पंजाब में कपास की खेती मुख्यत: चार जिलों- फाजिल्का, मुक्तसर, भटिंडा एवं मनसा में होती है जबकि चार अन्य जिलों में भी इसका थोड़ा - बहुत उत्पादन होता है।
उल्लेखनीय है कि 90 के दशक में पंजाब में 7 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में कपास की खेती होती थी और गेहूं फसल की कटाई-तैयारी समाप्त होते ही इसकी बिजाई शुरू हो जाती थी। लेकिन हाल के वर्षों में फसल पर कीड़ों-रोगों का भयंकर प्रकोप बढ़ने से किसानों को जबरदस्त आर्थिक नुकसान होने लगा और इसलिए उसने कपास की खेती में दिलचस्पी घटानी शुरू कर दी। अब उसक ध्यान मूंग की खेती पर केन्द्रित होने लगा है।