iGrain India - मैसूर । दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी वर्षा होने से दक्षिणी राज्यों में अन्य खरीफ फसलों के साथ कपास की बिजाई भी आरंभ हो गई है और आगे इसकी रफ्तार बढ़ने की संभावना है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार लालमिर्च का भाव नरम पड़ने से तेलंगाना में कपास की खेती के प्रति किसानों का आकर्षण बढ़ सकता है। वैसे कपास के बीज की कीमतों में मजबूती का रुख रहने से किसानों को थोड़ी कठिनाई हो सकती है।
कर्नाटक, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिण भारत में कपास का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है और वहां इस बार इसका क्षेत्रफल बढ़ने की उम्मीद है। क्योंकि वहां लालमिर्च के कुछ उत्पादक कपास की तरफ मुड़ सकते हैं।
कर्नाटक एवं तेलंगाना के कई भागों में मानसून की दो-तीन बारिश हो चुकी है जिससे किसानों को फसल की बिजाई आरंभ करने में सहूलियत हो रही है। बिजाई सीजन शुरू होने से पहले तेलंगाना में रूई का भाव मजबूत हो गया था जिससे किसानों का उत्साह बढ़ गया है।
30 मई को भारत में पहुंचा मानसून अब तक केरल के अधिकांश भाग, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना अधिकतर क्षेत्र तथा महाराष्ट्र के कुछ इलाकों को कवर कर चुका है।
दक्षिणी राज्यों में पिछले तीन-चार दिनों से कपास के बीज की बिक्री में भारी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। किसान करीब 30 से 50 प्रतिशत तक की जरूरत के लायक बीज खरीद चुके हैं और लक्ष्यांकित क्षेत्रफल के लगभग 10 प्रतिशत भाग में इसकी बिजाई भी पूरी हो चुकी है।
वैसे कुर्नूल जैसे क्षेत्रों में कपास का रकबा इस बार कुछ घट सकता है। इधर उत्तरी भारत में भी कपास के बिजाई क्षेत्र में 10-15 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है। कर्नाटक एवं तेलंगाना में कपास का भाव 7500/7600 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया जो न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा है।