iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । हालांकि सुदूर दक्षिणी राज्य- केरल तथा देश के पूर्वोत्तर भाग में दक्षिण-पश्चिम मानसून 12-13 दिन पहले ही पहुंच चुका है लेकिन एक-दो शुरूआती बौछार के बाद इसकी गति मंद पड़ गई और अब वहां वर्षा का अभाव महसूस होने लगा है।
ध्यान देने की बात है कि देश के समुद्री चक्रवाती तूफान की वजह से देश में कई राज्यों में मानसून पूर्व की जोरदार बारिश हुई थी लेकिन मानसून की शुरूआती वर्षा उम्मीद के अनुरूप नहीं हो सकी।
उल्लेखनीय है कि हाल के वर्षों में केरल में मानसून सीजन के आरंभिक चरण में सामान्य से कम वर्षा होती रही है जबकि पूर्वोत्तर भारत में तो लम्बे समय से सूखे की स्थिति चली आ रही है जो वर्तमान सीजन में भी बरकरार है।
मई के अंतिम सप्ताह के दौरान रेमल तूफान के कारण पूर्वोत्तर राज्यों में भारी वर्षा हुई थी जिससे मणिपुर और आसाम जैसे राज्यों में भयंकर बाढ़ आ गई थी।
उससे पूर्व इस क्षेत्र में सूखे का माहौल बना हुआ था। दक्षिण पश्चिम मानसून 30 मई को केरल पहुंचा और उसी दिन इसका एक सिरा पूर्वोत्तर क्षेत्र में पहुंच गया।
मौसम विभाग के अनुसार 1 से 9 जून के बीच केरल में सामान्य औसत से करीब 22 प्रतिशत कम बारिश हुई। वैसे वहां मानसून-पूर्व की अच्छी वर्षा हुई थी और खासकर मई के अंतिम सप्ताह में हुई जोरदार बारिश से बागानी फसलों को फायदा भी हुआ था।
केरल के कुल 14 जिलों में से 9 जिलों में 20 से 59 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है। इसमें से कुछ जिलों में तो सामान्य औसत की तुलना में 60 से 99 प्रतिशत तक कम वर्षा दर्ज की गई।
कोल्लम तथा अलापुझा जिलों में 53 प्रतिशत तथा 45 प्रतिशत कम वर्षा हुई लेकिन त्रिपुर जिले में सामान्य से 23 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई। इससे पूर्व 1 मार्च से 2024 मई के बीच केरल के सामान्य औसत से 27 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी।
लेकिन दक्षिण भारत के अन्य राज्यों- तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तेलंगाना में मानसूनी वर्षा की हालत काफी अच्छी देखी जा रही है। 1 से 9 जून के दौरान सामान्य औसत के मुकाबले तमिलनाडु में 224 प्रतिशत,
आंध्र प्रदेश में 196 प्रतिशत तथा तेलंगाना में 100 प्रतिशत अधिक या अधिशेष बारिश हुई। इन राज्यों में खरीफ फसलों की बिजाई जोर शोर से जारी है।