iGrain India - जयपुर । इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून 30 मई को केरल पहुंचा और इसके आगे बढ़ने की रफ्तार भी अच्छी देखी जा रही है। तमाम जिंसों का बाजार भाव ऊंचा एवं तेज होने से भारतीय किसान खरीफ फसलों की खेती के प्रति काफी उत्साहित हैं और इस बार मानसून भी उसके लिए अनुकूल रहने की उम्मीद है।
लेकिन किसानों के समक्ष यह दुविधा उत्पन्न हो सकती है कि खरीफ सीजन में किन-किन फसलों की खेती को विशेष प्राथमिकता दी जाए। ऐसी हालत में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उसकी सहायता कर सकता है।
शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री का पद संभाल लिया है और इसलिए शीघ्र ही खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा होने की उम्मीद की जा रही है।
इसके लिए कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) पहले ही अपनी सिफारिश (रिपोर्ट) सौंप चुका है। उम्मीद की जा रही है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार खरीफ फसलों के एमएसपी में 5 से 10 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है।
खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा होने के बाद बिजाई की रफ्तार और भी तेज हो सकती है। इस सीजन में धान (दो-श्रेणी), ज्वार (दो-श्रेणी) तथा कपास (दो-श्रेणी) के अलावा बाजरा, मक्का, रागी, अरहर (तुवर), उड़द, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी सहित कुछ अन्य फसलों के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा होनी है। गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में पहले ही बढ़ोत्तरी हो चुकी है।
दक्षिण भारत से मानसून आगे निकलते हुए अब पश्चिम भारत (महाराष्ट्र एवं गुजरात) में पहुंच गया है जबकि अगले तीन-चार दिनों में बंगाल, बिहार सहित कुछ अन्य पूर्वी राज्यों में पहुंच सकता है।
डीसा में मानसून सुस्त है मगर कर्नाटक में बहुत सक्रिय है इसलिए वहां खरीफ फसलों की जोरदार बिजाई हो रही है। केरल में मानसून कमजोर पड़ गया है।