iGrain India - कोलकाता । पिछले एक माह के दौरान खाद्य तेलों के दाम में 15 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो चुकी है जिससे सरकार की चिंता एवं खाद्य महंगाई बढ़ गई है।
खाद्य तेलों की प्रमुख कंपनियों का कहना है कि सोयाबीन तेल का दाम इसलिए बढ़ा है क्योंकि अर्जेन्टीना एवं ब्राजील से इसकी आपूर्ति में बाधा पड़ रही है और सरसों तेल की कीमतों में इसलिए बढ़ोत्तरी हुई है क्योंकि नैफेड एवं हैफेड जैसे सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों से विशाल मात्रा में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों की खरीद की गई है।
मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए सरसों के उत्पादक प्रमुख मंडियों में अपना माल उतरने से हिचकने लगे हैं क्योंकि उन्हें आगे इसके दाम में कुछ और बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
ध्यान देने की बात है कि सरसों का भाव एमएसपी से ऊपर पहुंचते ही इसकी सरकारी खरीद बंद हो जाती है। इस बार सरसों का एमएसपी 5650 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया है जबकि थोक मंडी भाव द्वारा मूल्य स्तर तक पहुंच चुका है।
एक महत्वपूर्ण संस्था- इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (इवपा) के अध्यक्ष का कहना है कि खाद्य तेल की कीमतों में आगे भारी तेजी आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है मगर इतना अवश्य है कि बाजार कुछ समय तक मजबूत बन रहेगा।
अर्जेन्टीना में श्रमिकों की हड़ताल से सोयाबीन की क्रशिंग पर असर पड़ रहा है और सोया तेल का उत्पादन तथा निर्यात प्रभावित हो रहा है।
उधर ब्राजील में मूसलाधार वर्षा एवं बाढ़ के कारण सुदूर दक्षिणी राज्य- रियो ग्रैंड डो सूल में सोयाबीन की फसल को काफी नुकसान हुआ है और इसका उत्पादन 27.10 लाख टन घट गया है।
अप्रैल में अर्जेन्टीना से एक जहाज पर करीब 40 हजार टन सोया तेल आ रहा था मगर मई में 30-32 हजार टन ही आया। इसके फलस्वरूप घरेलू खुदरा बाजार में इसका दाम 3-4 रुपए प्रति किलो बढ़ गया है।