iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू प्रभाग में बढ़ती मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए विदेशों से विशाल मात्रा में दलहनों के आयात की आवश्यकता पड़ रही है। वित्त वर्ष 2022-23 की सम्पूर्ण अवधि में देश के अंदर 25.30 लाख टन दलहनों का आयात हुआ था जो वित्त वर्ष 2023-24 में 84 प्रतिशत उछलकर 46.50 लाख टन की ऊंचाई पर पहुंच गया।
चालू वित्त वर्ष में आयात का स्तर और भी ऊंचा रहने की संभावना है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्तमान वित्त वर्ष के शुरूआती दो महीनों में यानी अप्रैल-मई 2024 के दौरान देश में दलहनों का आयात बढ़कर 3,71,334 टन पर पहुंच गया जो अप्रैल-मई 2023 के आयात 2,08,619 टन से करीब 20 प्रतिशत ज्यादा है
एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया है कि घरेलू उत्पादक में गिरावट आने तथा मांग मजबूत रहने से तुवर (अरहर) तथा उड़द की कीमत तेज हुई और इसलिए विदेशों से इसका आयात बढ़ाने की आवश्यक पड़ रही है। उड़द का घरेलू उत्पादन 2022-23 सीजन के 26 लाख टन से लुढ़ककर 2023-24 के सीजन में 18 लाख टन के आसपास सिमट जाने का अनुमान है।
हालांकि सरकार ने तुवर का उत्पादन 33-34 लाख टन होने का अनुमान लगाया है जो 2022-23 सीजन के लगभग बराबर ही है लेकिन उद्योग-व्यापार समीक्षकों का मानना है कि इसका वास्तविक उत्पादन 27-28 लाख टन से अधिक नहीं हुआ जो लगभग 45 लाख टन की वार्षिक घरेलू मांग एवं खपत में बहुत कम है। इसका आयात भी सीमित होने से मांग एवं आपूर्ति में असंतुलन बना हुआ है।
पिछले दो वर्षों से प्रतिकूल मौसम एवं प्राकृतिक आपदाओं के कारण दलहनों के घरेलू उत्पादन में गिरावट का माहौल देखा गया। पिछले साल अल नीनो मौसम चक्र के कारण मानसून की बारिश का अभाव होने तथा लम्बे समय तक मौसम गर्म एवं शुष्क रहने से दलहनों की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई।
खरीफ कालीन दलहनों का बिजाई नम रहा और रबी सीजन में भी चना के बिजाई क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई। फिलहाल म्यांमार से उड़द एवं तुवर, अफ्रीकी देशों से तुवर, कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया से मसूर तथा रूस एवं कनाडा से पीली मटर का भारी आयात हो रहा है।