iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि भारत चावल, गेहूं एवं मोटे अनाज के मामले में लगभग आत्मनिर्भर बना हुआ है मगर दलहन-तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने से बहुत पीछे छूट गया है।
इसके फलस्वरूप देश में विदेशों से विशाल मात्रा में दलहनों एवं खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है जिस पर भारी-भरकम बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च होती है।
स्वयं प्रधामंत्री इस पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं और स्वदेशी स्रोतों से उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते रहे हैं। हाल के वर्षों में दलहन-तिलहन के घरेलू उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है मगर दालों एवं खाद्य तेलों की मांग तथा खपत उससे भी ज्यादा तेज गति से बढ़ी है।
अब मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को केन्द्रीय कृषि मंत्री बनाया गया है। उनसे उम्मीद की जाती है कि वे भारत को दलहन-तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बेहतरीन काम करेंगे और सहयोग से उन्होंने इसके लिए जोरदार प्रयास भी आरंभ कर दिया है।
सरकार ने वर्ष 2027-28 तक देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और साथ ही साथ तिलहनों की पैदावार बढ़ाने पर भी पूरा ध्यान देने की योजना बनाई है। यदि प्लान और प्रयास कामयाब हो गया तो यह भारत के लिए एक शानदार उपलब्धि होगी।
अधिकारक सूत्रों के अनुसार शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में कृषि मंत्रालय 2027-28 तक दलहनों में अत्मनिर्भरता हासिल करने पर ध्यान केन्द्रित करेगा और तिलहनों की पैदावार बढ़ाने हेतु नई-नई योजनाए लागू कर सकता है।
शिवराज सिंह चौहान की सहायता के लिए रामनाथ ठाकुर तथा भागीरथ चौधरी को राजयमंत्री बनाया गया है। कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इनकी मीटिंग हो चुकी है और उन्हें दायित्वों से भी अवगत करवा दिया गया है।
कृषि मंत्री ने मौजूदा खरीफ सीजन में फसलों की बिजाई के लिए किसानों को उचित मूल्य पर अच्छी क्वालिटी का खाद-बीज उपलब्ध करवाने की जरूरत पर जोर दिया है। इस बार मानसून की अच्छी बारिश भी किसानों की सहायता करेगी।