iGrain India - नई दिल्ली । पिछले 36 सप्ताहों में पहली बार देश के 150 प्रमुख बांधों एवं जलाशयों में पानी के कुल भंडार में गिरावट नहीं आई और यह लगभग पुराने स्तर पर ही बरकरार रहा।
दक्षिण भारत में मानसून की अच्छी वर्षा होने से जलाशयों में पानी का स्तर कुछ बढ़ गया। उत्तरी भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में भीषण गर्मी के कारण ग्लेशियर के पिघलने से कुछ भागों में पानी की आपूर्ति अधिक हुई मगर अन्य जलाशयों में पानी का स्तर कुछ घट गया। पूर्वोत्तर राज्यों में भी बारिश होने लगी है। इससे बांधों का जलस्तर ऊंचा उठने की उम्मीद है।
केन्द्रीय जल आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि दक्षिणी राज्यों में जलस्तर में 1 प्रतिशत बिंदु का सुधार आया जबकि अन्य क्षेत्रों में यह उतना ही घट गया।
इन 150 जलाशयों में सामूहिक रूप से पानी का स्टॉक उसकी कुल भंडारण क्षमता के 30 प्रतिशत से नीचे ही रहा। जून 2023 में अल नीनो मौसम चक्र के आगमन के बाद देश में बारिश कम होने तथा गर्मी बढ़ने से पानी का स्तर तेजी से घटने लगा और लगातार 35 सप्ताहों तक इसमें गिरावट का माहौल बना रहा।
आयोग के आंकड़ों के अनुसार देश के 150 प्रमुख जलाशयों में से 139 में भंडारण क्षमता के मुकाबले 50 प्रतिशत से कम और इसमें से 129 जलाशयों में 40 प्रतिशत से कम पानी का भंडार बचा हुआ है।
150 जलाशयों में पानी की कुल भंडारण क्षमता 178.784 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है जबकि पानी का वास्तविक भंडारण महज 38,491 बीसीएम या 22 प्रतिशत बचा हुआ है। पिछले साल की समान अवधि में वहां भंडारण क्षमता के सापेक्ष 79 प्रतिशत पानी मौजूद था।
देश के सात जलाशयों में पानी का भंडार शून्य स्तर पर पहुंच गया है जिसमें से 6 जलाशय दक्षिण भारत में मौजद है। अन्य जलाशयों में भी पानी का स्तर घटकर 20 प्रतिशत से नीचे आ गया था मगर अब धीरे-धीरे स्थिति सुधरती जा रही है।
दक्षिण भारत में केवल केरल को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में मानसून की अच्छी वर्षा हो रही है जिससे जलाशयों में पानी का स्तर आगे और बढ़ने की उम्मीद है।