iGrain India - नई दिल्ली । भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए वार्ता-जारी है। यूरोपीय संघ भारत को बासमती चावल के लिए भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) देना पर गम्भीरतापूर्वक विचार कर रहा है।
यदि यह प्राप्त हो जाता है तो यूरोपीय बाजार में भारतीय बासमती चावल का निर्यात बढ़ना निश्चित हो जाएगा। जबकि पाकिस्तान को काफी धक्का लग सकता है।
इतना ही नहीं बल्कि इसके आधार पर भारत दुनिया के कई अन्य देशों या राष्ट्र समूहों के साथ भी इस तरह का व्यापारिक समझौता कर सकता है।
बासमती चावल का निर्यात बढ़ने पर देश के अंदर बासमती धान एवं चावल के उत्पादन में स्वाभाविक रूप से अच्छी बढ़ोत्तरी होगी और किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले एक दशक के दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लम्बे दाने वाले सुगंधित बासमती चावल के निर्यात में अनवरत बढ़ोत्तरी होती रहे।
प्रीमियम क्वालिटी के इस चावल के वैश्विक निर्यात में भारत की भागीदारी 70 प्रतिशत के आसपास रहती है। अगर निर्यात आगे भी नियमित रूप से वृद्धि का सिलसिला जारी रहा तो भारत को स्वाभाविक रूप से काफी फायदा होगा। मांग और कीमत में हो रही बढ़ोत्तरी को देखते हुए भारत सरकार को व्यापार समझौते का प्रोत्साहन मिल रहा है।
ध्यान देने की बात है कि केन्द्र सरकार ने अगस्त 2023 में बासमती-चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) निर्धारित किया था जिससे घरेलू बासमती धान का भाव तेजी से उछल गया था।
लेकिन इस ऊंचे मूल्य पर निर्यात मांग काफी कमजोर पड़ गई और इसलिए सरकार को मेप को घटाकर 950 डॉलर प्रति टन नियत करने के लिए विवश होना पड़ा।
इसके बाद बासमती-चावल के निर्यात की गति काफी तेज हो गई। यूरोप तथा मध्य पूर्व शीर्ष खरीदारों ने इसके बड़े-बड़े सौदे किए।
भारत से वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान बासमती चावल का निर्यात तेजी से बढ़कर 54 लाख टन से ऊपर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। लाल सागर क्षेत्र में उत्पन्न संकट के बावजूद भारतीय बासमती चावल के निर्यत पर कोई खास असर नहीं पड़ा।