iGrain India - नई दिल्ली । स्वदेशी चीनी उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र को केन्द्र में सत्तारूढ़ एनडीए के तीसरे कार्यकाल में कुछ सकारात्मक नीतिगत बदलाव होने की उम्मीद है।
दूसरा कार्यकाल चीनी उद्योग के लिए मिश्रित परिणाम वाला रहा। चीनी उद्योग द्वारा दूसरे कार्यकाल के दौरान सरकार से बार-बार चीनी के एक्स-फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोत्तरी करने का आग्रह किया गया। मगर तमाम आश्वासनों के बावजूद यह आग्रह स्वीकार नहीं किया जा सका।
दूसरी ओर सरकार ने चीनी का निर्यात पूरी तरह खोल दिया जिससे एक मार्केटिंग सीजन में इसका कुल निर्यात 110 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह चीनी मिलों एवं डिस्टीलरीज को एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
तीसरे कार्यकाल में भी उद्योग की वही मांग एवं समस्याएं बरकरार रहेंगी। 1 जून 2023 से चीनी के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है जबकि फरवरी 2019 के बाद से चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में कोई वृद्धि नहीं की गई है जबकि इस बीच गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में प्रत्येक साल इजाफा किया गया।
अब सहकारी की मिलों की शीर्ष संस्था- नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज ने सरकार से चीनी का एमएसपी 3100 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 4200 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित करने का आग्रह किया है क्योंकि गन्ना का एफआरपी काफी ऊंचा हो गया है।
जहां तक एथनॉल का सवाल है तो पिछले साल तक सरकार इसके उत्पादन को बढ़ावा दे रही थी मगर 2023-24 के सीजन में गन्ना एवं चीनी के घरेलू उत्पादन में गिरावट आने की संभावना को देखते हुए एथनॉल के निर्माण में चीनी के उपयोग की सीमा 17 लाख टन निर्धारित कर दी गई जबकि पहले 35-40 लाख टन का इस्तेमाल हो रहा था। उद्योग को अगले सीजन में इसकी सीमा बढ़ाए जाने की उम्मीद है।