iGrain India - मुम्बई । बांग्ला देश में कॉटन टेक्सटाइल मिलों की बढ़ती मांग के कारण 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन में भारतीय रूई का निर्यात बढ़कर 26 लाख गांठ पर पहुंच जाने की उम्मीद है जो 2022-23 सीजन के कुल शिपमेंट 15.50 लाख गांठ से 67.7 प्रतिशत ज्यादा है।
रूई की प्रत्येक गांठ 170 किलो की होती है। मौजूदा मार्केटिंग सीजन सितम्बर 2024 तक जारी रहेगा। उद्योग- व्यापार क्षेत्र की एक अग्रणी संस्था- कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष का कहना है कि बांग्ला देश की मिलों के पास रूई का स्टॉक नहीं है और इसलिए उसे भारत से इसका आयात बढ़ाना पड़ रहा है।
अमरीका और ब्रजील से रूई के शिपमेंट में देर हो रही है इसलिए इन कॉटन मिलों द्वारा भारत से प्रति माह एक-डेढ़ लाख गांठ रूई का आयात किया जा रहा है।
सड़क मार्ग से भारतीय रूई महज चार-पांच दिनों में बांग्ला देश की मिलों तक पहुंच जाती है और इस पर परिवहन खर्च भी कम बैठता है।
एसोसिएशन के अनुसार 2023-24 सीजन के दौरान भारत में 317.70 लाख गांठ कपास की प्रेसिंग होने की उम्मीद है। मध्यवर्ती भारत में इसकी रफ्तार ज्यादा तेज देखी जा रही है जहां किसान अपने पुराने स्टॉक की बिक्री करने में भारी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
इसके बावजूद कपास की प्रेसिंग का यह अनुमान पिछले सीजन के 318.90 लाख गांठ से 1.20 लाख गांठ कम है। इस बार कपास का पिछला बकाया स्टॉक भी बाजार (मंडियों) में आ रहा है।
मई 2024 के अंत तक देश भर में करीब 296.53 लाख गांठ कपास की प्रोसेसिंग होने का अनुमान है। उत्पादन, बकाया स्टॉक, निर्यात, घरेलू खपत एवं आयात के बैलेंस शीट के आधार पर एसोसिएशन ने चालू सीजन के अंत में 20 लाख गांठ रूई का स्टॉक बचने का अनुमान लगाया है।