iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून 30 मई को ही केरल पहुंच गया था और शुरूआती चरण में इसकी गतिशीलता अच्छी थी लेकिन धीरे-धीरे कम होती गई।
देश के कुछ भागों में मानसून अभी सक्रिय है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार 1 से 18 जून 2024 के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर मानसून की बारिश सामान्य औसत से करीब 20 प्रतिशत कम हुई।
आरंभिक 18 दिनों के लिए वर्षा का दीर्घावधि औसत 80.6 मि०मी० आंका गया है जबकि कुल वास्तविक वर्षा 64.5 मि०मी० ही हुई। मौसम विभाग के मुताबिक 12 से 18 जून के बीच वर्षा धारित तंत्र में कोई खास प्रगति नहीं हो सकी।
लेकिन अब स्थिति धीरे-धीरे मानसून के आगे बढ़ने के लिए अनुकूल होती जा रही है। शीघ्र ही यह महाराष्ट्र के कई भागों, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, तटीय आंध्र प्रदेश, बंगाल की खाड़ी के पश्चिमोत्तर क्षेत्र, बिहार तथा झारखंड में सक्रिय हो सकता है। मौसम विभाग के अनुसार अगले 2-3 दिनों में इन इलाकों में अच्छी वर्षा होने की संभावना है।
इन आरंभिक 18 दिनों में वर्षा की सर्वाधिक कमी पश्चिमोत्तर भारत में दर्ज की गई जहां सामान्य औसत से 70 प्रतिशत कम बारिश हुई।
इसी तरह मध्यवर्ती भारत में 31 प्रतिशत तथा पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों में 15 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई जबकि दूसरी ओर दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य औसत से 16 प्रतिशत अधिक बारिश हुई।
दक्षिण-पश्चिम मानसून 19 मई को निकोबार द्वीप समूह में पहुंचा था और फिर रेमल समुद्री चक्रवाती तूफान के साथ आगे बढ़ते हुए कई अन्य क्षेत्रों में पहुंच गया।
अंततः 30 मई को यह केरल में प्रवेश कर गया और उसी दिन इसका एक सिरा पूर्वोत्तर राज्यों में पहुंच गया। 12 जून तक मानसून ने केरल, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना को कवर कर लिया।
इसके अलावा मानसून दक्षिणी महाराष्ट्र के अधिकांश इलाकों तथा दक्षिणी छत्तीसग़ढ एवं दिल्ली उड़ीसा के कुछ भागों, पश्चिम बंगाल के कुछ उप हिमालयी क्षेत्रों, सिक्किम और सभी पूर्वोत्तर प्रांतों में सक्रिय हो गया।
उसके बाद इसकी प्रगति थम गई और 18 जून को इसका उत्तरी सिरा नवसादी, जलगांव, अमरावती, चंद्रपुर, बीजापुर, सुकमा, मल्कानगिरी तथा विजयनगरम से होकर गुजर रहा था। 11-18 जून के दौरान 11 मौसम उपखंडों में सामान्य से लेकर अत्याधिक अधिशेष बारिश हुई जबकि 25 उपखंड में वर्षा की भारी कमी दर्ज की गई।