iGrain India - नई दिल्ली । पंजाब-हरियाणा में बासमती उत्पादकों को अगर सामान्य श्रेणी के धान से काफी ऊंचा मूल्य प्राप्त नहीं हुआ तो उसे घोर निराशा होगी। दरअसल यह मामला इसलिए सामने आया है क्योंकि चुनावी वादे के अनुरूप छत्तीसगढ़ में किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सांय श्रेणी का धान खरीदा गया और आगे भी खरीदा जाएगा।
उड़ीसा में भी किसानों से इसी तरह का वादा किया गया है जो अगले खरीफ मार्केटिंग सीजन से पूरा किया जा सकता है। आमतौर पर सामान्य श्रेणी तथा बासमती (धान) के दाम में 1500-2000 रुपए प्रति क्विंटल का अंतर रहता है।
अगर यदि छत्तीसगढ़ एवं उड़ीसा में सामान्य श्रेणी के धान का भाव 3100 रुपए प्रति क्विंटल होगा तो पंजाब-हरियाणा एवं यूपी-उत्तराखंड के किसानों को बासमती धान का भाव 5000-5100 रुपए प्रति क्विंटल प्राप्त होने की उम्मीद रहेगी।
यदि बासमती धान का यह भाव बना तो बासमती चावल का लागत खर्च एवं निर्यात मूल्य अत्यन्त ऊंचा हो जाएगा जिससे उसका शिपमेंट प्रभावित होने की आशंका बनी रहेगी।
इधर घरेलू प्रभाग में भी चावल का भाव काफी ऊंचे स्तर पर रहेगा जिससे खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के सरकारी प्रयास को धक्का लग सकता है।
एक नए घटनाक्रम के तहत छत्तीसगढ़ एवं उड़ीसा में धान के अत्यन्त ऊंचे दाम को देखते हुए अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों के किसान संगठनों ने केन्द्र सरकार से धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में उसके अनुरूप बढ़ोत्तरी करने की मांग शुरू कर दी है। इससे केन्द्र सरकार धर्म संकट में फंस गई है।
अगर एमएसपी में उसके अनुरूप इजाफा किया गया तो चावल का दाम बढ़ना निश्चित है और अगर बढ़ोत्तरी नहीं की गई तो किसान नाराज हो सकते हैं।
हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसी साल विधानसभा का चुनाव होना है। हरियाणा बासमती धान-चावल का एक अग्रणी उत्पादक राज्य है जबकि केन्द्रीय पूल में सामान्य चावल का योगदान भी बड़े पैमाने पर देता है। बासमती चावल के निर्यातकों की चिंता भी इससे जुडी हुई है क्योंकि ऊंचा मूल्य इसकी वैश्विक मांग को कमजोर कर सकता है।