iGrain India - पुणे । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के संस्थापक एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद पवार ने प्रधानमंत्री से चीनी के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को समाप्त करने तथा एथनॉल मिश्रण पर सीमा में छूट देने का आग्रह किया है।
उनका कहना था कि यदि इस आग्रह को स्वीकार नहीं किया गया तो लोकतांत्रिक ढंग से आवश्यक लक्ष्य उठाया जाएगा। शरद पवार का कहना था कि केन्द्र सरकार ने किसानो के खिलाफ अनेक निर्णय लिए हैं।
यदि चीनी का निर्यात नियमित रूप से जारी रहता तो गन्ना उत्पादकों को बेहतर दाम मिल सकता था। लेकिन इस सरकार ने पिछले एक साल से चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है और यहां तक कि एथनॉल ब्लेंडिंग पर भी नियंत्रण लगा दिया गया है जिसके चलते चीनी मिलों को कम आमदनी प्राप्त होने लगी है।
एक तरफ केन्द्र सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि किसानों को कम दाम मिले जबकि दूसरी ओर कृषि क्षेत्र के लिए इनपुट खर्च में बढ़ोत्तरी की जा रही है। किसानों को आपूर्ति श्रृंखला के दोनों तरफ से उठाना पड़ रहा है।
एनसीपी नेता के अनुसार प्रधानमंत्री को इन समस्याओं के बारे में एक पत्र भेजा गया है जिसमें उनसे आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया गया है।
उम्मीद है कि प्रधानमंत्री उस दिशा में सकारात्मक निर्णय लेंगे अन्यथा लोकतान्त्रिक तरीके से सरकरी निर्णयों का विरोध करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इसके लिए किसान के सहयोग-समर्थन की आवश्यकता पड़ेगी।
उल्लेखनीय है कि 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में गन्ना एवं चीनी के उत्पादन में गिरावट आने तथा कीमतों में बढ़ोत्तरी होने की आशंका से सरकार ने 1 जून 2023 से चीनी के व्यापारिक निर्यात पर अनिश्चित काल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था और एथनॉल के निर्माण में भी लम्बी जद्दोजहद के बाद केवल 17 लाख टन चीनी के समतुल्य गन्ना के उपयोग की अनुमति दी थी।
बाद में जब चीनी का बेहतर उत्पादन होने तथा स्टॉक बढ़ने के संकेत मिलने पर उद्योग ने सरकार से 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया तब सरकार ने उसे भी नजरअंदाज कर दिया।