iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल की अध्यक्षता में चावल निर्यातकों की एक महत्वपूर्ण मिटिंग आज यानी 19 जून 2024 को आयोजित हुई जिसमें देश के विभिन्न बंदरगाहों पर भारतीय निर्यातकों को सेला चावल के निर्यात शुल्क के मामले में हो रही कठिनाई का एजेंडा मुख्य रूप से शामिल था। इसके साथ-साथ निर्यातकों ने सरकार के विचारार्थ कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को भी इस बैठक में सामने रखा।
निर्यातकों राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशालय राजीव कुमार भी इस बैठक में उपस्थित थे। उनका कहना है कि मीटिंग में सर्वप्रथम सरकार से सेला चावल के लिए अमरीकी डॉलर में निर्यात शुल्क नियत करने की मांग की गई।
फिलहाल सभी किस्मों एवं श्रेणियों के सेला चावल पर एक समान (20 प्रतिशत) का निर्यात शुल्क लागू है। इसके बजाए डॉलर में शुल्क लागू (नियत) किया जाना चाहिए।
मौजूदा व्यवस्था के तहत अनेक चुनौतियां एवं कठिनाइयां हैं क्योंकि चावल की क्वालिटी में भिन्नता होती है और सेला चावल की विभिन्न किस्मों एवं श्रेणियों के दाम में अंतर होता है।
निर्यातकों ने मीटिंग में सरकार को सोना मसूरी जैसी प्रीमियम वैरायटी के गैर बासमती चावल के लिए नया एच एस एन कोड नियत करने का सुझाव दिया ताकि इसे सफेद चावल के प्रतिबंध के दायरे में शामिल न किया जा सके।
इस श्रेणी के चावल की निर्यात मात्रा 5 लाख टन से भी कम होती है और यह समूचे संसार में निवास करने वाले भारतीय मूल के लोगो की खास जरूरतों को पूरा करता है।
इसी तरह निर्यातकों ने सरकार से स्टीम चावल को सेला चावल की श्रेणी के तहत शामिल करने का अनुरोध किया जिसके लिए वाणिज्य मंत्रालय के पास अभी और विवरण प्रस्तुत किया जाना है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि स्टीम चावल सेला चावल का ही एक प्रकार है।
राजीव कुमार के मुताबिक शीघ्र ही सफेद चावल तथा टुकड़ी चावल के निर्यात पर लगे नियंत्रणों- प्रतिबंधों के हटाने के अनुरोध के साथ निर्यातकों एवं सरकार के बीच कुछ और बैठकें आयोजित होने वाली हैं।
सरकार की तरफ से सहयोग-समर्थन मिलने के आसार हैं क्योंकि निर्यातक अपने देश एवं व्यापार के हित में सरकार को अपने मुद्दों को स्वीकार करने के लिए राजी करने का प्रयास जारी रखेंगे। इतना निश्चित है कि सरकार निर्यातकों के वास्तविक आग्रह (मांग) का समर्थन करेगी।