iGrain India - न्यू जर्सी । अमरीकी उद्योग संस्था- कॉटन कौंसिल इंटरनेशनल (सीसीआई) के भारत सरकार से अपील की है कि यह भारतीय वस्त्र उद्योग के लिए लागत खर्च में कटौत हेतु छोटे रेशेवाली कपास पर लगे 11 प्रतिशत के आयात शुल्क को समाप्त कर दे।
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2024 में भारत सरकार ने 32 मि०मी० से अधिक लम्बाई के रेशे वाली रूई पर लागू 10 प्रतिशत के आयात शुल्क को हटाने का निर्णय लिया था लेकिन छोटे एवं मध्यम लम्बाई वाले रेशे की रूई पर आयात शुल्क को बरकरार रखा था। 32 मि०मी० से अधिक लम्बे रेशे वाली रूई को एक्स्ट्रा लांग स्टैपल (ईएलएस) रूई भी कहा जाता है।
ज्ञातव्य है कि 2 फरवरी 2021 को सरकार ने रूई के आयात पर 11 प्रतिशत का शुल्क लगाया था जिसमें 5 प्रतिशत का आधारभूत सीमा शुल्क, 5 प्रतिशत का टैक्स तथा 1 प्रतिशत का समाज कल्याण सेस शामिल था।
सीसीआई द्वारा आयोजित एक गोल मेज बैठक के दौरान 'सुपीमा' के अध्यक्ष ने कहा है कि एक महत्वपूर्ण चुनौती अमरीकी कपास पर लागू 11 प्रतिशत के आयात शुल्क की है जो घरेलू वस्त्र उद्योग के हितोँ पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
भारत में रूई के कुल उत्पादन में ईएलएस की भागीदारी 1 प्रतिशत से भी कम रहती है इसलिए टेक्सटाइल मिलों को आयातित रूई से बेहतरीन उत्पादों का निर्माण एवं कारोबार करने में सहायता मिलती है।