iGrain India - कोच्चि । हालांकि कालीमिर्च के घरेलू बाजार भाव में पहले ही काफी तेजी आ चुकी है मगर व्यापार विश्लेषक इसे अंतिम तेजी नहीं मान रहे हैं।
उनका कहना है कि घरेलू तथा वैश्विक स्तर पर कुछ ऐसे कारक मौजूद है जो कालीमिर्च की कीमतों में तेजी को रुक-रुक कर हवा दे सकते हैं।
वियतनाम में उत्पादन सामान्य से कुछ कम हुआ है और बड़े-बड़े उत्पादकों तथा स्टॉकिस्टों ने आगे दाम और बढ़ने की उम्मीद से इसका स्टॉक दबाना शुरू कर दिया है जिससे वहां दाम तेज हो गया है।
भारत में कालीमिर्च का उत्पादन इसके उपयोग के लगभग आसपास या उससे कुछ कम होता है जबकि इसका भारी मात्रा में निर्यात भी किया जाता है।
घरेलू तथा निर्यात मांग को पूरा करने के लिए भारत को वियतनाम तथा श्रीलंका सहित कुछ अन्य देशों से विशाल मारा में कालीमिर्च का आयात करना पड़ता है।
भारतीय कालीमिर्च की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है और इसलिए इसका निर्यात ऑफर मूल्य भी ऊंचा रहता है। यदि वियतनाम में दाम बढ़ता है तो भारत में भी कीमत तेज होगी और इसके पीछे-पीछे अन्य निर्यातक देश भी अपने उत्पाद का दाम बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं।
कर्नाटक और केरल जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में स्टॉक रोकने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है जिससे वहां भाव ऊंचा हो गया है। इससे दिसावरी बाजारों में दाम बढ़ना स्वाभाविक ही है।
कोच्चि के टर्मिनल मार्केट में कालीमिर्च का मूल्य 700 रुपए प्रति किलो के आसपास बताया जा रहा है। जब तक वियतनाम से भारी मात्रा में माल की निकासी नहीं होगी तब तक कालीमिर्च का भाव ऊंचा एवं तेज रह सकता है।