iGrain India - रेगिना । कनाडा में मटर की बिजाई समाप्त होने के बाद सबका ध्यान अब फसल की प्रगति तथा मौसम की स्थिति पर केन्द्रित हो गया है।
व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि अगस्त 2024 से आरंभ होने वाले नए मार्केटिंग सीजन के दौरान मटर की कीमतों में उतार-चढ़ाव मुख्यत: मौसम पर निर्भर करेगा।
यदि अगल 5-6 सप्ताहों तक मौसम की स्थिति अनुकूल बनी रही तो मटर के बेहतर उत्पादन की उम्मीद रहेगी जिससे कीमतों पर कुछ दबाव बढ़ सकता है। लेकिन अगर मौसम प्रतिकूल रहा तो मटर का भाव ऊंचा एवं तेज बना रहेगा।
समीक्षकों के अनुसार भारत में कम से कम 31 अक्टूबर 2024 तक मटर का शुल्क मुक्त आयात जारी रहेगा। यदि दाल-दलहनों के घरेलू बाजार भाव में नरमी या स्थिरता नहीं आई तो आयात की समय सीमा आगे बढ़ाई जा सकती है।
इससे रूस और कनाडा को भारी फायदा हो सकता है जो दुनिया में इसका सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है। हाल के महीनों में भारत में दलहनों की आपूर्ति बढ़ाने एवं कीमत घटाने का जोरदार प्रयास किया गया।
मटर एवं मसूर के दाम में काफी हद तक स्थिरता रहने से इसका आयात कम हो रहा है और निकट भविष्य में इसकी रफ्तार ज्यादा तेजी होने की संभावना नहीं है।
दिसम्बर 2023 से मई 2024 के छह महीनों के दौरान भारत में 15-16 लाख टन मटर का आयात होने का अनुमान है। देश में केवल पीली मटर का आयात होता है।
पश्चिमी कनाडा की मंडियों में मटर का भाव पिछले आठ-दस दिनों में स्थिर बना हुआ है और खरीदार इसमें कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं। वहां पीली मटर का दाम 13 डॉलर प्रति बुशेल, हरी मटर का 16 डॉलर प्रति बुशेल तथा मापले मटर का भाव 26 डॉलर प्रति बुशेल चल रहा है।
मटर के बिजाई क्षेत्र में बड़ा बदलाव नहीं हुआ है इसलिए मौसम की अवस्था पर इसका उत्पादन निर्भर रहेगा और उत्पादन के अनुरूप कीमतों में तेजी-मंदी का माहौल बनेगा।