iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू प्रभाग में दाल-दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार पिछले कई महीनों से लगातार जोरदार प्रयास कर रही है।
इस क्रम में पिछले वित्त वर्ष के दौरान विदेशों से दलहनों का आयात भी तेजी से बढ़कर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। सरकार स्वदेशी स्रोतों से दलहन का उत्पादन बढ़ाकर इसमें आत्मनिर्भरता हासिल करना चाहती है और इसके लिए दलहनों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अच्छी बढ़ोत्तरी कर रही है।
2024-25 के वर्तमान खरीफ सीजन के लिए अरहर या तुवर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 7.9 प्रतिशत बढ़कर 7550 रुपए प्रति क्विंटल, उड़द का समर्थन मूल्य 6.5 प्रतिशत बढ़ाकर 7400 रुपए प्रति क्विंटल तथा मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1.4 प्रतिशत बढ़ाकर 8682 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य में पिछले दो वर्षों के दौरान जबरदस्त बढ़ोत्तरी की गई थी इसलिए इस बार इसमें कम इजाफा हुआ है। पिछले साल तुवर का समर्थन मूल्य 7000 रुपए प्रति क्विंटल एवं उड़द का समर्थन मूल्य 6900 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया था।
दाल-दलहनों का भाव पिछले करीब डेढ़-दो साल से आम आदमी और सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है क्योंकि इसकी तेजी पर अंकुश लगाने का कोई भी प्रयास अब तक कारगर साबित नहीं हो सका है।
कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया से विशाल मात्रा में मसूर का आयात हो रहा है। म्यांमार से उड़द एवं तुवर, अफ्रीकी देशों से तुवर तथा रूस एवं कनाडा से पीली मटर का आयात बदस्तूर जारी है।
अब देसी चना के आयात को भी 31 अक्टूबर तक शुल्क मुक्त कर दिया गया है मगर फिर भी दलहनों के घरेलू बाजार मूल्य में नरमी का माहौल नहीं देखा जा रहा है।
खरीफ कालीन दलहन फसलों की बिजाई आरंभ हो गई है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान इसके प्रमुख उत्पादक प्रान्त हैं जबकि गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा बिहार जैसे राज्यों में भी दलहनों का अच्छा उत्पादन होता है।
दलहनों का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा है इसलिए किसानों को इसका बिजाई क्षेत्र बढ़ाने का प्रोत्साहन मिल सकता है।