iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने 2024-25 के खरीफ सीजन में उत्पादित होने वाले तिलहनों- मूंगफली, तिल, सोयाबीन, सूरजमुखी एवं नाइजरसीड के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 6.3 से 12.7 प्रतिशत तक का इजाफा कर दिया है लेकिन किसानों को इसका लाभ सुनिश्चित करने के लिए भी सरकार को कुछ आवश्यक कदम उठाने की है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस बार मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 6.4 प्रतिशत बढ़ाकर 6783 रुपए प्रति क्विंटल, सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6.3 प्रतिशत बढ़कर 4892 रुपए प्रति क्विंटल, सूरजमुखी का 7.7 प्रतिशत बढ़ाकर 7280 रुपए प्रति क्विंटल, तिल का 7.3 प्रतिशत बढ़ाकर 9267 रुपए प्रति क्विंटल तथा नाइजरसीड का एमएसपी 12.7 प्रतिशत बढाकर 8717 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया है।
भारत संसार में तिलहन-तेल की पांचवींं सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था वाला देश है मगर वैश्विक मंच पर इसकी चर्चा खासतौर से इसलिए होती है क्योंकि यह दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे प्रमुख आयातक देश बना हुआ है।
व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि विदेशों से सस्ते खाद्य तेलों का विशाल आयात होने के कारण भारतीय किसानों को अपने तिलहनों का आकर्षक या लाभप्रद मूल्य प्राप्त नहीं होता है।
सरकार को खाद्य तेलों के आयात को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक एहतियाती कदम उठाना होगा। पिछले सीजन में देश के अंदर खाद्य तेलों का आयात उछलकर करीब 165 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
लूज में सोयाबीन का थोक मंडी भाव घटकर सरकारी समर्थन मूल्य से नीचे आ गया है। सरकार फसल कटाई के बाद कुछ दिनों तक सीमित मात्रा में तिलहन फसलों की खरीद का प्रयास करती है और उसके बाद इस पर विराम लगा दिया जाता है। इससे अधिकांश किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पाता है।