iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार मोटे अनाजों और खासकर श्री अन्न या पोषक अनाजों के उत्पादक को प्रोत्साहित करने पर ज्यादा जोर दे रही है जिसमें ज्वार, बाजार एवं रागी यानी मिलेट्स मुख्य रूप से शामिल है। खरीफ सीजन में इन फसलों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।
सरकार ने पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के लिए मोटे अनाजों के संवर्ग में हाईब्रीड ज्वार का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6 प्रतिशत बढ़ाकर 3371 रुपए प्रति क्विंटल, बाजरा का 5 प्रतिशत बढ़ाकर 2625 रुपए प्रति क्विंटल,
रागी का 11.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4290 रुपए प्रति क्विंटल तथा मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6.5 प्रतिशत बढ़ाकर 2225 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
रागी श्री अन्न फसलों के परिवार का महत्वपूर्ण सदस्य है और कर्नाटक सहित कुछ अन्य राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है।
रागी के समर्थन मूल्य में जबरदस्त हुई है जिससे किसानों को इसका क्षेत्रफल तथा उत्पादन बढ़ाने का अच्छा प्रोत्साहन मिल सकता है लेकिन सवाल यह है कि यदि रागी का खुला बाजार भाव घटकर समर्थन मूल्य से नीचे जाता है तो क्या सरकार अपेक्षित मात्रा में इसकी खरीद करके किसानों कर सकती है।
मक्का का भाव ऊंचा एवं तेज रहने की संभावना है क्योंकि पशु आहार, पॉल्ट्री फीड तथा स्टार्च निर्माण उद्योग के साथ-साथ एथनॉल उत्पादन में भी इसकी मांग एवं खपत तेजी से बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।
आगे भी इसका उपयोग निरन्तर बढ़ता रहेगा मगर इसके समर्थन मूल्य में इतना इजाफा नहीं किया गया है जितना होना चाहिए।
खरीफ कालीन दलहनों की बिजाई पहले ही आरंभ हो चुकी है और अब समर्थन मूल्य की घोषणा होना के बाद किसानों को अपनी रणनीति बनाने में सहूलियत होगी। इस बार मानसून की अच्छी बारिश होने की संभावना है जिससे महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं गुजरात सहित अन्य राज्यों में मोटे अनाजों का अच्छा उत्पादन हो सकता है।