iGrain India - कोयम्बटूर । मानसून की अच्छी बारिश होने तथा केन्द्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा किए जाने से दक्षिणी राज्यों में कपास की बिजाई की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद है।
सरकार ने कपास का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 7121 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया है। महाराष्ट्र में कपास बीज की बिक्री की धीमी गति को देखते हुए बिजाई क्षेत्र में 10-15 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही है
जबकि राज्य के कई भागों में मानसून पहुंच चुका है। पहले वर्षा की भारी कमी के कारण देश के मध्यवर्ती एवं दक्षिणी राज्यों में कपास की अगैती बिजाई ज्यादा क्षेत्रफल में संभव नहीं हो सकी।
मध्य प्रदेश में कपास का रकबा 10 प्रतिशत तक घटने की संभावना व्यक्त की जा रही है लेकिन दक्षिण भारत में स्थिति अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुई है।
वर्ष 2023 के खरीफ सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर कुल 124.69 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हुई थी। इसका क्षेत्रफल महाराष्ट्र में 42.34 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 26.83 लाख हेक्टेयर तथा तेलंगाना में 18.18 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था जबकि शेष बिजाई क्षेत्र राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उड़ीसा एवं तमिलनाडु में रहा था।
न्यूयार्क एक्सचेंज में रूई का वायदा भाव कमजोर पड़ने से भारतीय उत्पादकों का उत्साह कपास की खेती के प्रति कुछ ठंडा पड़ सकता है।
भारतीय कपास उत्पादकों की इस पर नजर रहती है वे बड़े गौर से वायदा मूल्य में रोजाना आने वाले उतार-चढ़ाव का अध्ययन विश्लेषण करके बिजाई का निर्णय लेते हैं।
आईसीई, न्यूयार्क में दिसम्बर अनुबंध के लिए पिछले दिन रूई का वायदा मूल्य गिरकर 70 सेंट प्रति पौंड पर आ गया जो भारतीय मुद्रा 47,000 रूपये प्रति कैंडी (356 किलो) के समतुल्य है। दूसरी ओर भारत में वर्तमान समय में 29 मि०मी० लबे रेशवाली रूई का भाव 55,000-57,000 रुपए प्रति कैंडी के बीच चल रहा है।