iGrain India - मुम्बई । पिछले कुछ सप्ताहों से वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों के दाम में आमतौर पर तेजी- मजबूती का माहौल बना हुआ है क्योंकि प्रमुख निर्यातक देशों से इसकी आपूर्ति में बाधा पड़ रही है।
काला सागर क्षेत्र के देशों- रूस, यूक्रेन एवं रोमानिया में सूरजमुखी एवं इसके तेल की आपूर्ति का ऑफ सीजन चल रहा है। वहां जुलाई-अगस्त से सूरजमुखी के नए माल की आवक शुरू हो सकती है और उसके बाद ही आपूर्ति की स्थिति में सुधार आ सकेगा।
वैसे भी भारत में यूक्रेन से अब सूरजमुखी तेल का आयात काफी कम हो रहा है और इस कमी को रूस तथा रोमानिया पूरी कर रहा है। अर्जेन्टीना से भी सूरजमुखी तेल का आयात किया जाता है।
लैटिन अमरीका में सोयाबीन तेल की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो गई थी। वहां अर्जेन्टीना में श्रमिकों की हड़ताल से सोयाबीन की क्रशिंग प्रभावित हुई और इसके उत्पादन तथा निर्यात की गति धीमी पड़ गई।
ब्राजील के दक्षिणी राज्य- रियो ग्रैंड डो सूल में मूसलाधार वर्षा एवं भयंकर बाढ़ के कारण न केवल सोयाबीन की फसल को जबरदस्त नुकसान हुआ बल्कि यातायात व्यवस्था ध्वस्त होने से क्रशिंग इकाइयों तक सोयाबीन का स्टॉक पहुंचाने में भी भारी कठिनाई हुई।
इसके मुकाबले दक्षिण-पूर्व एशिया में इंडोनेशिया, मलेशिया तथा थाईलैंड में पाम तेल की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति बेहतर रही। भारत में मई माह के दौरान खाद्य तेलों के आयात में अच्छी बढ़ोत्तरी देखी गई क्योंकि इसका अनुबंध तथा शिपमेंट पहले ही हो गया था लेकिन चालू माह में आयात पर कुछ असर पड़ सकता है।
इस बीच केन्द्र सरकार ने चालू खरीफ सीजन के लिए मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी तेल एवं नाइजरसीड जैसी तिलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अच्छा इजाफा कर दिया है। खाद्य तेल बाजार को स्थिर होने में अभी कुछ समय लग सकता है।