iGrain India - नई दिल्ली । चालू सप्ताह के दौरान उत्पादक केन्द्रों की मंडियों सहित खपत केन्द्रों एवं वायदा बाजार में भी हल्दी की कीमतें नरमी के साथ बोली गई। हालांकि उत्पादक केन्द्रों पर हल्दी का स्टॉक कमजोर माना जा रहा है लेकिन उत्पादक केन्द्रों पर बिजाई बढ़ने के समाचारों के चलते हाजिर में हल्दी का उठाव काफी कम रह गया है। जिस कारण से कमतों में मंडी का दौर बना हुआ है। लेकिन सूत्रों का मानना है कि आगामी दिनों में मांग बढ़ने के साथ ही कीमतों में अवश्य ही तेजी आएगी।
भाव अधिक
वर्तमान में उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर हल्दी का भाव गत वर्ष की तुलना में लगभग दोगुना से भी अधिक बोले जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष पैदावार कम रहने के कारण हल्दी की कीमतें में मजबूती बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जून माह के अंत में इरोड मंडी में हल्दी गट्ठा का भाव 6400/6700 रुपये एवं फली का भाव 7000/7200 रुपए चल रहा है जबकि वर्तमान में गट्ठा का भाव 15700/15800 एवं फली का भाव 16500/16800 रुपए बोला जा रहा है। अन्य उत्पादक केन्द्रों की मंडियों में भी हल्दी के भाव गत वर्ष की तुलना में ऊंचे भाव रहे। दिल्ली बाजार में वर्तमान में हल्दी सिंगल पोलिश गट्ठा का भाव 17400/17500 रुपए चल रहा है जबकि गत वर्ष इसी समयावधि के भाव 8700/8800 रुपए का चल रहा है। वर्तमान में हल्दी के भाव मंदे के साथ बोले जा रहे हैं लेकिन जुलाई अंत या अगस्त से कीमतों में सुधार आना चाहिए।
वायदा बाजार
चालू सप्ताह के दौरान वायदा बाजार में भी हल्दी की कीमतें मंदे के साथ बोली गई। वायदा बाजार में हल्दी जून का भाव 18096 रुपए खुलने के पश्चात 17376 रुपए पर बंद हुआ है जबकि अगस्त माह की हल्दी का भाव सप्ताह के शुरू में 18314 रुपए खुला था जोकि सप्ताह के अंत में 18168 रुपए पर बंद हुआ है।
बिजाई अनुमान
जानकार सूत्रों का कहना है कि उत्पादकों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलने के कारण इस वर्ष सभी उत्पादक राज्यों में हल्दी का बिजाई अवश्य ही करेगा । इरोड लाइन पर हल्दी की बिजाई गत वर्ष की तुलना में दोगुना होने के समाचार है जबकि महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में बिजाई गत वर्ष की तुलना में 30/35 प्रतिशत होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार गत वर्ष देश में हल्दी की बिजाई लगभग 3/3.25 लाख हेक्टेयर पर की गई थी जोकि इस वर्ष बढ़कर 3.75/4 लाख हेक्टेयर होने के अनुमान लगाएं जा रहे हैं।
तेजी का अनुमान
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि गत वर्ष देश में बिजाई कम होने के अलावा मौसम भी फसल के प्रतिकूल बना हुआ था जिस कारण वर्ष 2024 में हल्दी की पैदावार 45/50 लाख बोरी होने के अनुमान लगाएं गए हैं इसके अलावा 35/38 लाख बोरी का बकाया स्टॉक भी था। जोकि वर्ष 2025 में स्टॉक निल रहेगा। सूत्रों का कहना है कि चालू सीजन के दौरान बिजाई बढ़ने के बाद भी आने वाली हल्दी की फसल 70/75 लाख बोरी के आसपास रहेगी। जबकि बकाया स्टॉक निल रहेगा। जिस कारण से वर्ष 2025 के दौरान हल्दी की उपलब्धता खपत की तुलना में कम रहेगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 के दौरान देश में हल्दी की पैदावार 80/85 लाख बोरी होने के अलावा बकाया स्टॉक भी 25/30 लाख बोरी का था। वर्ष 2022 में पैदावार 75/80 लाख बोरी की रही थी।
स्टॉक
कारोबारियों का मानना है कि वर्तमान में उत्पादक केन्द्रों की मंडियों सहित खपत केन्द्रों पर भी हल्दी का स्टॉक 38/40 लाख बोरी का माना जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य मराठवाड़ा (बसमतनगर, नांदेड, हिंगोली) में वर्तमान में स्टॉक 14/15 लाख बोरी, सांगली 4 लाख बोरी होने के समाचार है। इरोड में 5 लाख बोरी, निजामाबाद में 4 लाख बोरी स्टॉक माना जा रहा है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश एवं खपत केन्द्रों पर स्टॉक 15/16 लाख बोरी होने के अनुमान लगाएं जा रहे हैं।
निर्यात
भाव ऊंचे होने के कारण हल्दी का निर्यात प्रभावित हुआ है। मसाला बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023-24 (अप्रैल -मार्च) के दौरान हल्दी का निर्यात 162019 टन का रहा जबकि वर्ष 2022-23 में निर्यात 170094 टन का रहा था। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल माह के दौरान भी हल्दी का निर्यात घटा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अप्रैल-2023 के दौरान हल्दी का निर्यात 1959087 टन का हुआ था जोकि अप्रैल 2024 में गठकर 14109.09 टन का रह गया है।