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दलहनों के प्रति बढ़ती चिंता

प्रकाशित 23/06/2024, 01:55 am
दलहनों के प्रति बढ़ती चिंता

iGrain India - दाल-दलहनों के ऊंचे घरेलू बाजार भाव से आम उपभोक्ताओं के साथ-साथ केन्द्र सरकार भी चिंतित है। दरअसल सरकार घरेलू प्रभाग में दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने के लिए पिछले डेढ़-दो साल से प्रयत्नशील हैं और समय-समय पर आवश्यक एहतियाती कदम भी उठाती रही है मगर उसका सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ रहा है। पहले तुवर एवं उड़द के आयात को वार्षिक कोटा प्रणाली के दायरे से बाहर करके नियंत्रण मुक्त किया गया, फिर मसूर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गई और उसके बाद पीली मटर के आयात को भी पूरी तरह खोल दिया गया जो करीब 4-5 साल से बंद था। इतना ही नहीं बल्कि देसी चना पर लगे 66 प्रतिशत के आयात शुल्क को भी समाप्त कर दिया गया। मोजाम्बिक, मलावी एवं म्यांमार से तुवर आयात के लिए पंचवर्षीय करार किया गया। जब इन उपायों से बात नहीं बनी तब सरकार ने दलहनों पर स्टॉक सीमा लगाना शुरू कर दिया। लेकिन यह उपाय भी कारगर साबित नहीं हो रहा है। अब एक बार फिर तुवर, देसी चना एवं काबुली चना पर 21 जून से भंडारण सीमा लागू कर दिया गया है जो 30 सितम्बर 2024 तक प्रभावी रहेगी। सरकार को लगता है कि व्यापारियों-स्टॉकिस्टों एवं दाल मिलर्स के पास दलहनों का भारी स्टॉक मौजूद है लेकिन वे सही ढंग से उसे बाजार में नहीं उतार रहे हैं जिससे इसका अभाव महसूस होता है और भाव ऊंचा रहता है। सरकार को यह भी संदेह है कि कुछ आयातक विदेशों में दलहनों का अनुबंध करने के बावजूद उसकी खेप मंगाने में विलम्ब कर रहे हैं ताकि घरेलू बाजार भाव ऊंचा होने पर मोटे मुनाफा कमा सके।

हो सकता है कि सरकार का संदेह और दृष्टिकोण अपनी जगह सही हो लेकिन उसे दो बुनियादी तथ्यों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। पहली बात यह है कि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय का उत्पादन अनुमान व्यावहारिक नहीं होता और वास्तविक उत्पादन से काफी ऊंचा रहता है। इससे मांग एवं आपूर्ति के बीच भारी असंतुलन पैदा हो जाता है और खाद्य मंत्रालय को सही समय पर अपनी रणनीति बनाने का अवसर नहीं मिलता। दूसरा तथ्य यह है कि बड़े-बड़े उत्पादकों की स्टॉक धारण क्षमता बढ़ गई है और वे नीचे दाम पर अपना दलहन बेचने में दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं। स्टॉकिस्टों सहित अन्य सम्बद्ध पक्षों के पास दलहन का सीमित स्टॉक रहता है इसलिए उस पर नकेल कसने का सार्थक नतीजा सामने नहीं आता। दलहनों का घरेलू उत्पादन बढ़ाए जाने की सख्त आवश्यकता है। सरकार ने खरीफ कालीन दलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अच्छी बढ़ोत्तरी कर दी है और इस बार मानसून भी अच्छा रहने वाला है इसलिए दलहनों का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है।    

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