iGrain India - नई दिल्ली । गेहूं के घरेलू बाजार भाव में स्थिरता का माहौल बनाने के लिए विदेशों से इसके शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दिए जाने की आवश्यकता है।
इसके साथ-साथ खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत केन्द्रीय बफर स्टॉक से गेहूं की साप्ताहिक ई-नीलामी बिक्री शुरू करना भी आवश्यक है।
रोलर फ्लोर मिलर्स / प्रोसेसर्स एवं व्यापारी लगातार सरकार से गेहूं के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने का आग्रह कर रहे हैं लेकिन सरकार यह कहते हुए उसे ठुकरा रही है कि देश में तथा बफर स्टॉक में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।
गेहूं के आयात पर 40 प्रतिशत का बुनियादी आयात शुल्क लागू है जिसे हटाने की जोरदार मांग हो रही है। अभी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं का भाव नीचे है और यदि सीमा शुल्क समाप्त कर दिया जाए तो सस्ते आयात के जरिए घरेलू बाजार में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने एवं कीमतों को नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है।
रूस, यूक्रेन, रोमानिया, फ्रांस, अमरीका एवं कुछ अन्य देशों में अगले महीने से शीतकालीन तथा बसंतकालीन गेहूं के नए माल की आवक शुरू होने की संभावना है जिससे आगामी महीनों के अनुबंध के लिए अच्छी मात्रा में सस्ते दाम पर इसे खरीदा जा सकता है। कनाडा में अगस्त से और ऑस्ट्रेलिया में अक्टूबर से गेहूं के नए माल का आना शुरू हो सकता है।
आधिकरिक सूत्रों के अनुसार सरकार दोनों महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार कर रही है। यह हो सकता है कि गेहूं पर सीमा शुल्क की कटौती के साथ-साथ आयात की एक निश्चित सीमा नियत कर दी जाए।
इसी तरह खुले बाजार बिक्री योजना को दोबारा आरंभ करके गेहूं के न्यूनतम आरक्षित मूल्य को कुछ बढ़ाकर नियत किया जा सकता है क्योंकि 2023-24 के रबी सीजन हेतु सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 150 रुपए बढ़ाकर 2275 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है।
समझा जाता है कि यदि सीमा शुल्क समाप्त हो गया तो दक्षिण भारत के बंदरगाहों पर विदेशों से भारी मात्रा में गेहूं का आयात आरंभ हो जाएगा।
उत्तरी भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में गेहूं की आवक काफी घट गई है जबकि अभी मार्केटिंग सीजन की समय सीमा भी औपचारिक तौर पर समाप्त नहीं हुई है।