iGrain India - हैदराबाद । हालांकि भारत से 100 प्रतिशत टूटे चावल तथा गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर परिबंध लगा हुआ है मगर गैर बासमती सेला चावल तथा बासमती चावल का निर्यात जारी है।
वैसे सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू है और बासमती चावल के लिए 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य नियत है।
ध्यान देने की बात है कि 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू होने के बावजूद भारतीय सेला चावल का भाव प्रतिस्पर्धी स्तर पर बना हुआ है जबकि दो मुख्य प्रतिद्व्न्दी -थाईलैंड तथा वियतनाम में इसका दाम काफी ऊपर चल रहा है।
इसके फलस्वरूप आयातक देशों में भारतीय चावल की मांग मजबूत बनी हुई है। पहले उम्मीद की जा रही थी कि रबी कालीन धान की जोरदार कटाई-तैयारी होने पर चावल के घरेलू बाजार भाव में नरमी आएगी जिससे निर्यात ऑफर मूल्य कुछ नीचे आ सकता है लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
इसके विपरीत पिछले सप्ताह चावल का निर्यात ऑफर मूल्य कुछ बढ़ गया। थाईलैंड में निर्यात योग्य चावल का हाजिर स्टॉक सीमित है जबकि इसका दाम 615-620 डॉलर प्रति टन के उच्च स्तर पर चल रहा था।
कुछ दिन पूर्व यह 630 डॉलर प्रति टन की ऊंचाई पर पहुंच गया था। इसी तरह वियतनामी चावल का निर्यात ऑफर मूल्य 570 डॉलर प्रति टन बताया जा रहा है जबकि भारतीय 5 प्रतिशत टूटे सेला चावल 544-552 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध है।
वियतनामी निर्यातकों का ध्यान इंडोनेशिया एवं फिलीपींस जैसे निकटवर्ती देशों की मांग पर केन्द्रित है जबकि भारत के निर्यातक अफ्रीकी देशों में ज्यादा सक्रिय है।
पिछले सप्ताह केन्द्र सरकार द्वारा धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 117 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी किए जाने से भी चावल बाजार को मजबूती मिल रही है जिससे चावल का भाव कुछ तेज हो सकता है।