iGrain India - नई दिल्ली । केंद्रीय बफर स्टॉक में अरहर (तुवर) की मात्रा घटकर अब महज 50 हजार टन के आस-पास रह गई है कुछ उत्पादक राज्यों में इसकी खरीद सही ढंग से नहीं हो सकी।
ध्यान देने वाली बात है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद से ज्यादा सफलता नहीं मिलने के बाद सरकार ने प्रचलित बाजार भाव पर भी तुवर खरीदने का प्रयास किया था मगर फिर भी किसानो ने सरकार को अपना दलहन बेचने में ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया।
खाद्य एवं सार्वजानिक वितरण विभाग के वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पिछले दो वर्षो के दौरान सरकार घरेलू मंडियों में किसानो से पर्याप्त मात्रा में तुवर की खरीद करने में सक्षम नहीं हो सकी और चूकिं खरीददारी कम हुई और कुछ व्यापारियों-मिलर्स द्वारा अपने स्टॉक के विवरण का खुलासा नहीं किया गया या आंशिक ब्यौरा ही दिया गया इसलिए सरकार को तुवर पर भण्ड़ारण सीमा लगाने का निर्णय लेना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि खाद्य मंत्रालय ने 21 जून को एक आदेश जारी करके तुवर, देशी चना एवं काबुली चना पर तत्काल प्रभाव से भण्ड़ारण सीमा (स्टॉक लिमिट) लागु कर दिया। यह आदेश 30 दिसम्बर 2024 तक प्रभावी रहेगा।
सरकार को उम्मीद है कि इस नियम से यह आदेश 30 सितम्बर 2024 तक प्रभावी रहेगा। सरकार को उम्मीद है कि इस नियम से घरेलू बाजार में इन दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों में नरमी आएगी।
जानकारों का कहना है कि भारत और अफ़्रीकी देशो तुवर की आपूर्ति का ऑफ़ सीजन चल रहा है और केवल म्यांमार से इसका अच्छा आयात हो सकता है अफ़्रीकी देशो -मोजाम्बिक, मलावी एवं सूडान आदि में अगले महीने के अंत का अगस्त के आरम्भ में तुवर की नई फसल की कटाई-तैयारी शरू होती है मगर इस बार मोजाम्बिक मलावी में भारी वर्षा एवं भयंकर बाढ़ के कारण बिजाई में 15-20 दिन की देर हो गई जिससे फसल की कटाई में भी विलम्ब होने की संभावना है इससे सही समय पर आयात होने पर संदेह है।
जहां तक काबुली चना का सवाल है तो इसे प्रायः भंडार सीमा के दायरे से बाहर रखा जाता है मगर इस बार इस पर भी स्टॉक लिमिट लागु कर दी गई। देशी चना का उत्पादन कम हुआ है और विदेशो से भी सिमित आयात हो रहा है।