iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा 21 जून को तुवर, देसी चना एवं काबुली चना पर भंडारण सीमा लागू किए जाने के बाद कुछ प्रमुख थोक मंडियों में इसकी कीमतों में थोड़ी नरमी देखी गई। इन दलहनों पर 30 सितम्बर 2024 तक भंडारण सीमा लागू रहेगी।
स्टॉकिस्टों / होल सेलर्स, खुदरा विक्रेताओं, बिग चेन रिटेलर्स तथा मिलर्स-प्रोसेसर्स के लिए दलहन की स्टॉक सीमा लागू हुई है और आयातकों से कहा गया है कि कस्टम क्लीयरेंस मिलर्स के 45 दिन के अंदर आयातित दलहनों में स्टॉक को घरेलू बाजार में उतार दें।
दलहन उद्योग-व्यापार क्षेत्र के शीर्ष संगठन-इंडिया पल्सेस एन्ड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के अनुसार दलहन व्यापारी भंडारन, सीमा के साथ पूरा कंटेनर बाजार में नहीं उतार सकते और न ही एकाएक इसकी बिक्री कर सकते हैं क्योंकि इसकी खरीद करने वालों के लिए भी स्टॉक लिमिट लागू है। इसी तरह अब निर्यातक देशों में भी दलहनों का स्टॉक लिमिट लागू है।
इसी तरह अब निर्यातक देशों में भी दलहनों का स्टॉक लम्बे समय तक सुरक्षित रखना आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद साबित नहीं हो रहा है क्योंकि इसका लागत खर्च बढ़ गया है।
एक अग्रणी विश्लेषक के अनुसार विगत अनुभवों से पता चलता है कि भंडारण सीमा लागू होने के बावजूद बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। न तो दाल-दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता में ज्यादा वृद्धि होगी और न ही कीमतों में गिरावट आएगी।
तुवर का स्टॉक बहुत कम है इसलिए इसका भाव नरम पड़ने में संदेह है। चना का स्टॉक किसानों के पास ज्यादा है। तुवर का दाम यदि नरम पड़ता भी है तो कुछ ही समय के बाद पुनः तेज हो सकता है।