iGrain India - नई दिल्ली । आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 15 जून 2024 को केन्द्रीय पूल में 331.19 लाख टन चावल तथा 257.22 लाख टन धान का विशाल स्टॉक मौजूद था जबकि रबी एवं जायद सीजन के धान की खरीद कहीं-कहीं जारी है।
अक्टूबर 2024 से खरीफ सीजन के नए धान की खरीद भी शुरू हो जाएगी। इस तरह घरेलू खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र सरकार के पास चावल का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है।
इसे देखते हुए निर्यातक अब गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल तथा टुकड़ा चावल (ब्रोकन राइस) के व्यापारिक निर्यात की अनुमति देने की मांग उठाने लगे हैं।
मालूम हो कि टुकड़ा चावल पर सितम्बर 2022 से तथा सफेद चावल पर जुलाई 2023 से निर्यात प्रतिबंध लगा हुआ है। जुलाई 2023 से ही राइस ब्रान एक्सट्रैक्शन के निर्यात पर भी रोक लगी हुई है जिसे हटाने की मांग की जा रही है।
लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि चावल में खुदरा एवं थोक महंगाई दर पिछले साल से ही दोहरे अंकों में चल रही है। भारत ब्रांड चावल की खुदरा बिक्री आरंभ करने तथा खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत केन्द्रीय पूल से चावल उपलब्ध करवाए जाने के बावजूद घरेलू बाजार मूल्य में कोई खास नरमी नहीं आई।
अगस्त 2023 में सरकार ने गैर बासमती सेला चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगा दिया था। भारत यद्यपि सेला चावल एवं बासमती चावल का ही निर्यात करता है लेकिन फिर भी दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश बना हुआ है। वैसे कच्चे (सफेद) चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लागू होने से कुल शिपमेंट में भारी गिरावट आ गई है।
निर्यातकों का कहना है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास चावल का स्टॉक बढ़कर न्यूनतम आवश्यक बफर मात्रा से करीब साढ़े तीन गुणा ऊपर पहुंच गया है इसलिए सरकार को घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने में कोई खास समस्या नहीं होगी और उसे ब्रोकन राइस तथा सफेद चावल का निर्यात खोल देना चाहिए।