iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू प्रभाग में खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के अपने गंभीर प्रयास के तहत केन्द्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) प्रणाली के अंतर्गत दुग्ध उत्पादों, कुछ श्रेणी के खाद्य तेलों एवं मक्का की एक निश्चित मात्रा के आयात की अनुमति प्रदान कर दी है।
इसके तहत 1.50 लाख टन सूरजमुखी तेल या सैफ्लावर तेल, 5 लाख टन मक्का, 1.50 लाख टन रिफाइंड रेपसीड तेल तथा 10 हजार टन दुग्ध उत्पादों (मिल्क पाउडर) मंगाने की सशर्त स्वीकृति दी गई है।
इन उत्पादों के आयात के लिए सरकार ने कुछ सहकारी एवं अधीनस्थ एजेंसियों / फर्मों को दायित्व सौंपा है जिसमें राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) राष्ट्रीय सहकारी डेयरी महासंघ (एनसीडीएम) तथा भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) शामिल है।
उल्लेखनीय है कि टैरिफ रेट कोटा प्रणाली के तहत के तहत वस्तुओं का आयात या तो रियायती शुल्क पर या शून्य शुल्क पर किया जाता है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार सूरजमुखी तेल एवं रिफाइंड तेल का आयात रियायती शुल्क पर करने की अनुमति दिए जाने की अभी कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि पहले से ही विशाल मात्रा में सस्ते खाद्य तेलों का आयात जारी रहने से तिलहन -तेल की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। अब शुल्क मुक्त आयात होने से इसके दाम पर दबाव और बढ़ सकता है।
हालांकि भारत दुनिया में तरल दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है लेकिन फिर भी जबरदस्त मांग एवं सीमित आपूर्ति का हवाला देते हुए हाल ही में अग्रणी डेयरी कंपनियों ने दूध एवं दुग्ध उत्पादों का दाम बढ़ा दिया।
इससे आम लोगों की कठिनाई बढ़ गई। जहां तक मक्का का सवाल है तो टीआरक्यू के तहत इसके आयात की मंजूरी दिए जाने की मांग उठ रही थी।
पॉल्ट्री एवं एथनॉल उद्योग में भारी मांग के कारण मक्का के दाम में तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है। देश में केवल परम्परागत या गैर जीएम मक्का के आयात की अनुमति दी जाती है।