iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय किसानों को खरीफ एवं रबी सीजन के दौरान अधिक से अधिक मात्रा में दलहनों का उत्पादन करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए केन्द्र सरकार अब इसकी खरीद का दायरा बढ़ाकर 100 प्रतिशत नियत करने का प्लान बना रही है।
वर्तमान समय में प्रचलित नियम के अनुसार किसी राज्य में उत्पादित दलहनों की कुल मात्रा के अधिकतम 25 प्रतिशत भाव की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी एजेंसियों द्वारा की जा सकती है जबकि शेष 75 प्रतिशत दलहन की बिक्री किसानों को खुले बाजार में करनी पड़ती है जहां अभी इसका दाम सरकारी समर्थन मूल्य से ऊंचा और कभी नीचे रहता है। अब सरकार किसानों से 100 प्रतिशत दलहन खरीदने की तैयारी कर रही है ताकि बफर स्टॉक को बढ़ाया जा सके।
घरेलू प्रभाग में अरहर (तुवर), उड़द, मसूर, मूंग एवं चना का भाव काफी ऊंचे स्तर पर चल रहा है जिससे आम लोगों की कठिनाई काफी बढ़ गई है।
इस बार रबी सीजन में दाम ऊंचा होने के कारण सरकार को चना एवं मसूर की पर्याप्त खरीद का अवसर नहीं मिल सका। मोटे अनुमान के अनुसार दलहनों के कुल वैश्विक उत्पादन में भारत का योगदान 25 प्रतिशत रहता है जबकि इसकी कुछ खपत में भारत की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
इस तरह मांग एवं खपत की तुलना में घरेलू उत्पादन कम होने से भारत को विदेशों से प्रतिवर्ष भारी मात्रा में दलहनों का आयात करने के लिए विवश होना पड़ता है। दिलचस्प तथा यह है कि भारत दुनिया में दाल-दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ-साथ सबसे प्रमुख उपभोक्ता एवं आयातक देश भी बना हुआ है।
भारत में दलहनों की कुल वार्षिक खपत बढ़कर 270-280 लाख टन से ऊपर पहुंच गई है मगर 2023-24 के सीजन में उत्पादन घटकर 234 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान है।
इसके फलस्वरूप पिछले वित्त वर्ष (2023-24) के दौरान दलहनों का आयात बढ़कर 45 लाख टन से ऊपर पहुंच गया। चना एवं मूंग का उत्पादन घरेलू खपत से अधिक होता है।
इसे देखते हुए सरकार ने वर्ष 2022 में मूंग के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था और देसी चना के आयात पर 66 प्रतिशत का भारी-भरकम सीमा शुल्क लागू कर दिया था। अब इस आयात शुल्क को 31 अक्टूबर 2024 तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।