iGrain India - मेरठ । पिछले साल उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों में गन्ना की फसल पर 'रेड रोट' रोग का भयंकर प्रकोप होने से किसानों को भारी नुकसान हुआ था और चालू वर्ष के दौरान भी तराई क्षेत्र में इस रोग का प्रकोप होने से उत्पादकों की चिंता काफी बढ़ गई है।
उत्तर प्रदेश के गन्ना विभाग ने पिछले साल की घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रमुख उत्पादक जिलों में मीटिंग आयोजित करना शुरू कर दिया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार रेड रोट रोग ने पिछले साल अनेक जिलों में गन्ना की 25 प्रतिशत फसल को बर्बाद कर दिया था।
एक फंगस की वजह से गन्ना के पौधों में रेड रोट रोग उत्पन्न होता है जो नियमित रूप से बढ़ते हुए विकराल रूप धारण कर लेता है। आमतौर पर गन्ना की एक विशेष किस्म (0238) पर इसका संक्रमण ज्यादा होता है जिसे देखते हुए विभाग ने किसानों का कहना है कि अन्य किस्मों के गन्ने का बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो रहा है।
उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त ने सभी सम्बन्धित अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है और किसानों को रेड रोट रोग के बारे में अधिक से अधिक जानकरी देकर जागरूक बनाने के लिए लगातार बैठकों का आयोजन किया जा रहा है।
चालू सीजन के दौरान अनेक किसानों ने 0238 किस्म ने गन्ना की खेती छोड़ी दी है और उसकी जगह दूसरी किस्मों की खेती शुरू कर दी है। लेकिन कुछ उत्पादक अब भी उससे चिपके हुए हैं। इसकी बिजाई पहले ही हो चुकी है।
गन्ना विभाग चाहता है कि ऐसे किसान अगले वर्ष से नई किस्मों की खेती को प्राथमिकता दे। विभाग की ओर से इस वर्ष गन्ना की नई किस्में किसानों को उपलब्ध करवाई गई है।
2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश में चीनी तथा गुड़ का शानदार उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा था मगर रेड रोट रोग के कारण गन्ना की फसल को भारी क्षति होने से उत्पादन में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो सकी।