iGrain India - नई दिल्ली । न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के 150 रुपए बढ़ाकर 2275 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किए जाने तथा 1129 लाख टन से अधिक का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान बनाए जाने के बावजूद चालू रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान अखिल भारतीय स्तर पर गेहूं की कुल सरकारी खरीद पिछले साल की तुलना में मुश्किल से 3-4 लाख टन बढ़कर 265-266 लाख टन पर पहुंच सकी।
इसके तहत पंजाब और हरियाणा में तो खरीद की स्वीकृति कुछ हद तक सामान्य हुई मगर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में उम्मीद से काफी कम रही। मध्य प्रदेश में 80 लाख टन के नियत लक्ष्य की तुलना में करीब 48 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश में 60 लाख टन के निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष 9.31 लाख टन गेहूं खरीदा गया।
इसी तरह राजस्थान में 20 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वास्तविक खरीद इसके 50 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच सकी। उत्तर प्रदेश (यूपी) में वर्ष 2021 के दौरान 56.41 लाख टन गेहूं की रिकॉर्ड खरीद हुई थी मगर बाद में घटकर 2022 में 2.20 लाख टन एवं 2023 में 3.16 लाख टन रह गई।
प्राइवेट व्यापारियों एवं मिलर्स- प्रोसेसर्स द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचे दाम पर गेहूं खरीदने का प्रयास किया गया और इसमें उन्हें सफलता भी हासिल हुई।
प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में गेहूं की सीमित आवक हो रही और कीमत भी सरकारी समर्थन मूल्य से ऊंची चल रही है। पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश (यूपी) में किसानों के पास गेहूं का क्रम स्टॉक बचा हुआ है।
दरअसल नई फसल की जोरदार कटाई-तैयारी के दौरान मध्य प्रदेश एवं राजस्थान की तुलना में उत्तर प्रदेश में गेहूं सस्ते दाम पर उपलब्ध था जिससे दक्षिण भारत के मिलर्स एवं व्यापारियों ने इसकी भारी खरीद कर ली। पंजाब तथा हरियाणा के किसानों ने अपना अधिकांश गेहूं सरकारी एजेंसियों को बेच दिया।