iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की अधीनस्थ एजेंसी- नैफेड एवं हरियाणा की प्रांतीय एजेंसी- हैफेड की खरीद से सरसों के दाम में अच्छी तेजी आई थी और इसका भाव बढ़कर न्यनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के आसपास या उससे ऊपर पहुंच गया था।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सरकारी एजेंसियों द्वारा चालू रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर करीब 19.70 लाख टन सरसों की खरीद की गई जबकि 7.50 लाख टन के पिछले स्टॉक के साथ इसकी कुल मात्रा बढ़कर 27.20 लाख टन पर पहुंच गई।
चालू सीजन के दौरान हैफेड द्वारा 7.74 लाख टन सरसों की खरीद की गई जबकि शेष खरीद नैफेड द्वारा की गई। नैफेड ने पांच राज्यों में सरसों की खरीद की है।
इसके तहत राजस्थान में 3.51 लाख टन, मध्य प्रदेश में 3.65 लाख टन, हरियाणा में 3.25 लाख टन, गुजरात में 1.17 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश में करीब 45 हजार टन सरसों खरीदी गई।
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2024 में तत्कालीन कृषि मंत्री ने कहा था कि घरेलू बाजार भाव में स्थिरता लाने के लिए सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद करेगी। मध्य अप्रैल से खरीद आरंभ भी हो गई।
सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2022-23 के 5450 रुपए प्रति क्विंटल से 200 रुपए बढ़ाकर 2023-24 सीजन के लिए 5650 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
सरकारी एजेंसी- नैफेड की खरीद से जब सरसों का बाजार भाव बढ़कर एमएसपी से ऊपर पहुंच गया तब सरकारी खरीद की गति धीमी पड़ गई। इसके फलस्वरूप अब दाम कुछ नीचे आ गया है।
नैफेड और हैफेड के पास विशाल मात्रा में सरसों का स्टॉक पड़ा हुआ है और देर सबेर इसकी बिक्री भी होने वाली है। इस स्टॉक के बाजार में उतरने से सरसों के मूल्य पर दबाव कुछ और बढ़ सकता है।