iGrain India - नई दिल्ली । पिछले साल की तुलना में खरीफ सीजन के दौरान तिलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होने के आसार हैं। हालांकि अभी मूंगफली का रकबा गत वर्ष से काफी पीछे है लेकिन जब गुजरात के साथ-साथ राजस्थान एवं मध्य प्रदेश जैसे प्रांतों में बिजाई की रफ्तार बढ़ेगी तब इसके क्षेत्रफल में कुछ सुधार आ सकता है।
जहां तक सोयाबीन का सवाल है तो इसका उत्पादन क्षेत्र पहले ही 1.63 लाख हेक्टेयर से उछलकर 33.66 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुका है। इस बार सोयाबीन का पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल 122.95 लाख हेक्टेयर आंका गया है और जिस रफ्तार से बिजाई बढ़ रही है उससे प्रतीत होता है कि इसका कुल रकबा उससे आगे निकल जाएगा।
सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अच्छी बढ़ोत्तरी की गई है। मूंगफली का क्षेत्रफल गत वर्ष के 14.56 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 8.19 लाख हेक्टेयर रह गया है जो सामान्य औसत क्षेत्रफल 45.28 लाख हेक्टेयर के 20 प्रतिशत से भी कम है।
खरीफ सीजन के अन्य तिलहनों में सूरजमुखी, तिल, नाइजरसीड, अरंडी एवं कुछ अन्य फसलें शामिल हैं। इन फसलों की बिजाई अब धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगी है।
कर्नाटक में मौसम एवं मानसून के अनुकूल रहने से सूरजमुखी का घरेलू उत्पादन क्षेत्र 26 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 37 हजार हेक्टेयर तथा तिल का रकबा 26 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 43 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गया है। गुजरात एवं राजस्थान में अरंडी की बिजाई जुलाई में जोर पकड़ती है। इसके क्षेत्रफल में भी कुछ सुधार आने के आसार हैं।