iGrain India - मिलर्स एवं निर्यतकों की कमजोर मांग से धान-चावल के दाम में गिरावट
नई दिल्ली। घरेलू एवं निर्यात मांग कमजोर पड़ने से चावल का भाव कुछ नरम हो गया और इसलिए मिलर्स तथा निर्यातकों द्वारा धान की खरीद में कम दिलचस्पी दिखाई गई। जोरदार मांग के बावजूद सरकार सफेद चावल के निर्यात का द्वार खोलने से कतरा रही है। बासमती चावल का कारोबार कभी बेहतर होता है तो कभी धीमा पड़ जाता है। 20 से 26 जून 2024 वाले सप्ताह के दौरान दिल्ली की नरेला मंडी में धान का लगभग 50 से 150 रुपए प्रति क्विंटल तक घट गया और यहां रोजाना 4-5 हजार बोरी धान की आवक हुई। मुख्यत: बासमती धान ही आ रहा है।
हरियाणा
हरियाणा के तरावड़ी में 1121 धान तथा बासमती धान का भाव 50-50 रुपए सुधरकर क्रमश: 4550 रुपए एवं 4300 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। बासमती धान की आवक का ऑफ सीजन चल रहा है। छत्तीसग़ढ की राजिम मंडी में विभिन्न किस्मों के धान की कीमतों में मिश्रित रूख देखा गया मगर तेजी-मंदी का दायरा सीमित था। राजस्थान के बूंदी में धान का भाव 50 रुपए नीचे आ गया। यही स्थिति उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में भी देखी गई। लेकिन वहां अलीगढ में 1509 धान का दाम 600 रुपए की जोरदार गिरावट के साथ 2600 रुपए प्रति क्विंटल पर अटक गया। मंडी में करीब एक हजार बोरी धान की दैनिक आवक हुई। खैर मंडी में भी 1509 का भाव 100 रुपये गिरकर 2600 रुपए प्रति क्विंटल रह गया।
चावल
जहां तक चावल का सवाल है तो इसके दाम में भी आमतौर पर नरमी का ही रूख बना रहा। पंजाब के अमृतसर में यद्यपि 1121 सेला चावल का भाव 100 रुपए सुधारकर 8500/8600 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंचा लेकिन अन्य किस्मों के चावल के दाम में 50 से 150 रुपए प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई। सबसे बड़ी गिरावट उत्तराखंड की मंडी में दर्ज की गई जहां 1509 सेला चावल का भाव 6800 रुपए प्रति क्विंटल से 1400 रुपए लुढ़ककर 5400 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। राजस्थान के बूंदी में भी 1509 चावल का दाम 200 रुपए गिरकर 6200/6250 रुपए प्रति क्विंटल रह गया।
हरियाणा
हरियाणा की बेंचमार्क करनाल मंडी में अधिकांश किस्मों के चावल का भाव पिछले स्तर पर स्थिर रहा मगर सुगंधा सेला एवं ताज सेला का दाम नरम पड़ गया। दिल्ली के नया बाजार में मिश्रित रूख रहा। वहां 1121 स्टीम तथा सुगंधा सेला के दाम में 100-100 रुपए का इजाफा हुआ जबकि 1509 सेला, 1401 सेला तथा 1401 स्टीम चावल के मूल्य में 100-100 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
खरीफ कालीन धान की रोपाई पहले ही आरंभ हो चुकी है और 28 जून तक इसका क्षेत्रफल 28 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गया जो पिछले साल के लगभग बराबर ही है।