iGrain India - जीरा में व्यापार कम : निर्यात मांग निकलने पर तेजी की संभावना
नई दिल्ली। वर्तमान में जीरा बाजार में कारोबार सीमित चल रहा है। हालांकि उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर जीरे की दैनिक आवक घट रही है लेकिन निर्यातकों की लिवाली न होने के कारण बाजार में नरमी का माहौल बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि चालू माह के शुरूआती दौर में चीन की लिवाली आने के कारण बाजार में कुछ सुधार बना था लेकिन लिवाली शांत हो जाने के पश्चात कीमतों में फिर नरमी का दौर शुरू हो गया है। सूत्रों का कहना है कि हाल-फिलहाल कीमतों में अधिक तेजी की संभावना नहीं है लेकिन अगस्त माह के दौरान निर्यात बढ़ने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। उस समय कीमतों में तेजी बन सकती है। अगर निर्यात मांग नहीं बढ़ती है तो कीमतों में थी की संभावना नहीं है। भाव सीमित दायरे में ही घूमते रहेंगे।
जानकार सूत्रों का कहना है कि हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार चीनी में जीरा का उत्पादन पूर्वानुमानों की तुलना में कम रहने के समाचार मिल रहे हैं। जिस कारण जीरे में चीन की निर्यात मांग निकलने के अनुमान लगाए जा रहे हैं अन्य देशों, सीरिया, टर्की एवं अफगानिस्तान में फसल की अच्छी स्थिति मानी जा रही है वर्तमान में चीन में नए जीरे की आवक हो रही है जबकि अन्य देशों में अन्य मालों की आवक जुलाई के माह में शुरू हो जाएगी।
कीमतों में गिरावट
चालू सप्ताह के दौरान जीरा की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। वायदा बाजार में हालांकि जुलाई माह का जीरा 29000 रुपए खुले के पश्चात 29140 रुपए पर बंद हुआ है। लेकिन अगस्त माह का जीरा 29005 रुपए खुलने के पश्चात सप्ताहांत में 28675 रुपए पर बंद हुआ है। हाजिर बाजारों में मांग का अभाव बना रहने के कारण कीमतों में 300/500 रुपए प्रति क्विंटल का मन्दा दर्ज किया गया। गुजरात की प्रमुख मंडी ऊंझा में एवरेज क्वालिटी जीरे का भाव सप्ताह के शुरू में 258/267 रुपए खुलने के पश्चात सप्ताह के अंत में 255/265 रुपए पर बोला गया है। राजस्थान की जोधपुर मंडी में भी जीरे का भाव 250/280 रुपये सप्ताह के शुरू में बोला जा रहा था जोकि सप्ताह के अंत में 245/275 रुपए बोला गया। लेकिन भावों पर भी व्यापार कम रहा। उत्पादक केन्द्रों के मंदे समाचार मिलने एवं लोकल में मांग कम होने से दिल्ली बाजार में जीरे के दाम 2/3 रुपये प्रति किलो मंदे के साथ बोले गए।
अधिक मंदा नहीं
कारोबारियों का कहना है कि जीरे की वर्तमान कीमतों में अब अधिक मंदा नहीं है। क्योंकि देश में अधिक पैदावार का मंदा बाजार में आ चुका है किसानों ने भी अपनी जरूरत के हिसाब से माल निकाल लिया है। अब किसान भी भाव बढ़ने के पश्चात ही माल की बिकवाली करेगा। क्योंकि किसानों ने गत वर्ष के 630/640 रुपए के भाव भी देखे हैं। उत्पादक केन्द्रों की मंडियों में जीरे की दैनिक आवक भी घटने लगी है। ऊंझा मंडी को छोड़कर अन्य मंडियों में आवक 800/1000 बोरी की रह गई है। ऊंझा मंडी में औसतन दैनिक आवक 12/13 हजार बोरी की हो रही। राजस्थान की मेड़ता मंडी को छोड़कर नागौर, जोधपुर, नोखा मंडी में आवक 1000/1500 बोरी की रह गई है जो मेड़ता में आवक 3000/4000 बोरी की चल रही है। जहां तक तेजी का सवाल है हाल-फिलहाल कीमतों में अधिक तेजी की संभावना नहीं है। क्योंकि किसानों के पास पर्याप्त स्टॉक है भाव बढ़ने के साथ ही मंडियों में आवक बढ़नी शुरू हो जाएगी। कीमतों में अधिक तेजी आगामी दिनों में निर्यात मांग पर निर्भर करेगी।
निर्यात घटा
विगत 4 वर्षों से जीरा निर्यात में गिरावट दर्ज की जा रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020-21 के दौरान जीरे का निर्यात 298423 टन का रहा था जोकि वर्ष 2021-22 में घटकर 216971 टन का रह गया। वर्ष 2022-23 में निर्यात 186509 टन का रहा। वर्ष 2023-24 में भी निर्यात घटकर 165269 टन पर आ गया है। जबकि विगत 6 वर्षों में सबसे कम हुआ है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के प्रथम माह अप्रैल में जीरे का निर्यात गत वर्ष से अधिक रहा लेकिन मई में निर्यात घटा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अप्रैल 2023 में जीरे का निर्यात 17084.88 टन का हुआ था जोकि अप्रैल-2024 में बढ़कर 39182.42 टन का हो गया। लेकिन मई माह के दौरान जीरा कीमतों में तेजी आने के कारण निर्यात प्रभावित हुआ। मई 2023 में जीरा का निर्यात अप्रैल माह की तुलना में घटकर 22885 टन का रह गया। .